जानिए कैसे 250 रुपये की सदस्यता शुल्क से कांग्रेस की झोली में आ सकता है 1000 करोड़ रुपये
नयी दिल्ली : अपने लगातार चुनावी हार से बेजार कांग्रेस ने अपने समर्थकों की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है. कांग्रेस ने पार्टी सदस्यता शुल्क को एक रु पय से बढ़ा कर 250 रु पये कर दिया है. साल 2010 में पार्टी के 4 करोड़ 17 लाख पंजिकृत सदस्य थे. यानी अब अगर इतने लोगों […]
नयी दिल्ली : अपने लगातार चुनावी हार से बेजार कांग्रेस ने अपने समर्थकों की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है. कांग्रेस ने पार्टी सदस्यता शुल्क को एक रु पय से बढ़ा कर 250 रु पये कर दिया है. साल 2010 में पार्टी के 4 करोड़ 17 लाख पंजिकृत सदस्य थे. यानी अब अगर इतने लोगों ने दोबारा सदस्यता ली तो पार्टी के खाते में 1000 करोड़ से ज्यादा का इजाफा होगा. पार्टी ने सदस्यता शुल्क में सालों बार बदलाव किया गया था. 2007 में सदस्यता शुल्क तीन सालों के लिए तीन रु पये था. इसके बाद यह पांच सालों के लिए पांच रुपये हो गयी. इस बीच सदस्यता की अवधि में भले ही बदलाव किया गया हो, लेकिन शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया. पार्टी ने अब सदस्यता शुल्क हर साल वसूलने की योजना बनायी है.
पार्टी ने शुल्क जमा करने के नियमों में भी बदलाव किया है. पहले शुल्क 90 प्रतिशत हिस्सा प्रदेश इकाइयों के पास रहता था और केवल 10 फीसदी ही केंद्रीय कार्यालय पहुंचता था. अब पार्टी ने निर्णय लिया है कि 75 प्रतिशत हिस्सा केंद्रीय कार्यालय आयेगा और सिर्फ 25 फीसदी हिस्सा प्रदेश इकाई के पास रहेगा. कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के अनुसार, अब पार्टी ने हर साल 250 रुपये सदस्यता शुल्क वसूलने की योजना बनायी है. उन्होंने कहा है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि शुल्क वसूलने की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके और प्रत्येक सदस्य को अपनी सदस्यता याद रखने में सुविधा हो.