भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और अन्ना आंदोलन के जाल में उलझी सरकार

नयी दिल्लीः भूमि अधिग्रहण पर लाये गये अध्यादेश के बाद से सरकार पर हमले शुरु हो गये हैं. विपक्ष के अलावा समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी सरकार पर हल्ला बोल दिया है. इसके अलावा विभिन्न पार्टियों ने भी इस अध्यादेश की काफी आलोचना की है. अन्ना सरकार पर उद्योगपतियों की हितैषी का लगाया आरोप करीब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2015 7:21 PM

नयी दिल्लीः भूमि अधिग्रहण पर लाये गये अध्यादेश के बाद से सरकार पर हमले शुरु हो गये हैं. विपक्ष के अलावा समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी सरकार पर हल्ला बोल दिया है. इसके अलावा विभिन्न पार्टियों ने भी इस अध्यादेश की काफी आलोचना की है.

अन्ना सरकार पर उद्योगपतियों की हितैषी का लगाया आरोप

करीब तीन साल पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने आंदोलन से यूपीए सरकार को हिलाकर रख देने वाले प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे ने आज केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अपना दो दिवसीय धरना शुरु किया और आरोप लगाया कि मोदी सरकार सिर्फ उद्योगपतियों की हितैषी है.

कहा यह किसानों की जमीन हडपने की कोशिश

अन्ना हजारे ने कहा, ‘‘यह जमीन हडपने की कोशिश है. ऐसा काम अंग्रेज किया करते थे. आज की सरकार अंग्रेजों के शासन से भी बदतर है. अंग्रेजों ने भी किसानों के साथ इतना अन्याय नहीं किया.’’ पिछले साल 29 दिसंबर को सरकार ने अध्यादेश लाकर भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए थे जिसमें भूमि अधिग्रहण के लिए पांच क्षेत्रों में किसानों की सहमति प्राप्त करने की धारा को हटाना भी शामिल है.

इसमें नया कुछ नहीं हैः सोनिया

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ नया नहीं है और इसमें सिर्फ नया रुप दी गयी संप्रग की कुछ नीतियों की चर्चा की गयी है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा आज संसद के संयुक्त सत्र में आज दिये गये अभिभाषण के बारे में पूछे जाने पर सोनिया ने कहा, ‘‘इसमें नया कुछ नहीं है. इनमें संप्रग की कुछ पुरानी नीतियों को ही नया रुप दिया गया और पेश किया गया है.’’

प्रधानमंत्री के पहले के भाषणों का दोहराव मात्रः शरद यादव

जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने आज कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ नया नहीं है क्योंकि यह प्रधानमंत्री के पहले के भाषणों का ‘‘दोहराव मात्र’’ है. यादव ने कहा, ‘‘नया कुछ नहीं है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले जो कुछ कहा है, राष्ट्रपति के भाषण में उसे दोहराया गया है. भाषण बहुत लंबा था और लोगों को नींद आने लगी थी.’’ अध्यादेशों के मुद्दे पर जदयू नेता ने कहा कि अगर सब कुछ अध्यादेश से ही हो सकता है तो फिर संसद की क्या जरुरत है.

अन्ना के आंदोलन और अन्य पार्टियों की आलोचनाओं के बीच बड़ी खबर है कि अन्ना उस अध्यादेश को वापस लेने की मांग कर रही है. दूसरी ओर राजनाथ सिंह इस अध्यादेश पर पुनर्विचार करने के लिए आज ही बैठक कर रहे हैं. अब सरकार पूरी तरह से इस अध्यादेश को वापस लेगी इसकी कम संभावना है. दूसरी ओर अन्ना सहित कई समाजसेवी इस अध्यादेश को पूरी तरह से वापस लेने पर अडे हुए हैं. इन सबके बीच सरकार मुश्किल में है. सरकार नहीं चाहेगी कि शीतकालीन सत्र की तरह यह सत्र भी हंगामों की भेट चढे. इसके पहले सरकार कोई सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करेगी. आज राजनाथ सिंह की मौजूदगी में होने वाले बैठक में शायद कोई बीच का रास्ता निकले ऐसी उम्मीद की जा सकती है.

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