अन्ना के आंदोलन से जुड रहीं हैं कई क्षेत्रीय पार्टियां, 3 बजे पहुंचेंगे केजरीवाल
नयी दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पास करने से रोकने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का आंदोलन आज दूसरे दिन भी जारी है. उनके इस आंदोलन से कई क्षेत्रीय पार्टियां जुड रही है. आज मंच पर उनके समर्थन में एमडीएमके प्रमुख वाइको भी दिखे. उनके साथ जल […]
नयी दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पास करने से रोकने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का आंदोलन आज दूसरे दिन भी जारी है. उनके इस आंदोलन से कई क्षेत्रीय पार्टियां जुड रही है. आज मंच पर उनके समर्थन में एमडीएमके प्रमुख वाइको भी दिखे. उनके साथ जल पुरूष राजेंद्र सिंह आरूणा राय स्वदेशी चिंतक गोविंदाचार्ज जैसे लोगों के भी जुडने की उम्मीद है.आज 3 बजे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी मंच साझा करेंगे. आंदोलन की शुरूआत सोमवार को जंतर-मंतर पर हुई. अन्ना ने किसानों के प्रति मोदी सरकार पर उपेक्षा का भाव अपनाने के आरोप लगाया. कहा कि वह यहां अध्यादेश का विरोध करने नहीं, अवरोध करने आये हैं. इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्रता के बाद पहली बार किसानों को वर्तमान सरकार के समय में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाये जाने के बाद इतने अन्याय का सामना करना पड़ रहा है.’अन्ना ने कहा कि अगले तीन-चार महीने वह अध्यादेश के खिलाफ देश के हर जिले के किसानों को जागृत करेंगे. इसके दुष्प्रभाव के बारे में बतायेंगे. उसके बाद रामलीला मैदान से एक बार फिर हुंकार भरेंगे. लेकिन इस बार अनशन नहीं करेंगे, किसानों को जागृत करेंगे. ‘जेल भरो’ आंदोलन की शुरुआत करेंगे. इसके लिए किसानों को तैयार रहना होगा. हजारे ने कहा, ‘आप किसानों की सहमति के बगैर उनकी जमीन कैसे ले सकते हैं. भारत कृषि प्रधान देश है. सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए. भूमि अध्यादेश अलोकतांत्रिक है.’ कहा, ‘सरकार किसानों के हितों की उपेक्षा नहीं कर सकती. यह भारत के लोगों की सरकार है, न कि इंग्लैंड या अमेरिका की. लोगों ने सरकार बनायी है.’
अध्यादेश के माध्यम से भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ बदलाव को लेकर अन्ना मोदी सरकार के घोर आलोचक रहे हैं. 29 दिसंबर, 2014 को सरकार ने अध्यादेश लाकर भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किये थे. इसमें भूमि अधिग्रहण के लिए पांच क्षेत्रों में किसानों की सहमति प्राप्त करने की धारा को हटाना भी शामिल है. ये पांच क्षेत्र औद्योगिक कॉरीडोर, पीपीपी परियोजनाएं, ग्रामीण आधारभूत ढांचे, सस्ते आवास और रक्षा हैं.