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अनुच्छेद 370, अफ्सपा पर मतभेदों को ‘सुलझा लिया गया’: मुफ्ती

जम्मू: दो महीने के इंतजार के बाद जम्मू कश्मीर में बनने जा रही पीडीपी.भाजपा गठबंधन सरकार के संभावित मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने आज कहा कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम में अनुच्छेद 370 और अफ्सपा जैसे विवादित मुद्दों पर भाजपा के साथ मतभेदों को सुलझा लिया गया है. 78 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी के संरक्षक […]

जम्मू: दो महीने के इंतजार के बाद जम्मू कश्मीर में बनने जा रही पीडीपी.भाजपा गठबंधन सरकार के संभावित मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने आज कहा कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम में अनुच्छेद 370 और अफ्सपा जैसे विवादित मुद्दों पर भाजपा के साथ मतभेदों को सुलझा लिया गया है.

78 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी के संरक्षक सईद ने कहा कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन के लिए यह ऐतिहासिक अवसर होगा कि राज्य के दोनों क्षेत्रों के बीच दशकों के अविश्वास को खत्म किया जाए.उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा के पास जो जनाधार है उससे राज्य की गठबंधन सरकार शांति और विकास के मोर्चे पर काफी कुछ हासिल कर सकेगी.
सईद ने बताया, ‘‘मैं इसे (पीडीपी-भाजपा गठबंधन को) राज्य के कश्मीर और जम्मू क्षेत्रों के बीच दशकों से चले आ रहे अविश्वास को खत्म करने के ऐतिहासिक अवसर के रुप में देखता हूं.’’ सईद की पीडीपी और भाजपा के बीच सरकार बनने के आसार दिख रहे हैं. सईद ने कहा कि पिछले वर्ष राज्य विधानसभा की तरफ से दिए गए जनादेश ने आवश्यक कर दिया था कि शांति एवं विकास के एजेंडे पर दोनों दल एकजुट हों.
87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी ने 28 सीटें और भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की. दोनों दल सरकार बनाने के लिए आवश्यक 44 के आंकडे से काफी उपर हैं.पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कोई दूसरा विकल्प नहीं है (पीडीपी-भाजपा गठबंधन के अलावा). हमें नेशनल कान्फ्रेंस के साथ ही कांग्रेस से भी सरकार बनाने के लिए पेशकश मिली लेकिन केवल शासन करना हमारा उद्देश्य नहीं है. हमें शांति के एजेंडे पर भी काम करना है.’’
मुफ्ती ने कहा, ‘‘केंद्र में भाजपा को मिले जनादेश के साथ हम शांति और विकास के मोर्चे पर काफी कुछ हासिल करने में सक्षम होंगे. राज्य के लिए कोई और विकल्प ठीक नहीं होगा.’’ वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में पीडीपी-भाजपा गठबंधन दोनों दलों के लिए जीत की स्थिति होगी लेकिन ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यह राज्य के लिए लाभकारी होगा.
अनुच्छेद 370 और अफ्सपा जैसे मुद्दों पर पीडीपी और भाजपा के बीच गहरे मतभेद के बारे में पूछने पर सईद ने कहा कि सभी मुद्दों का समाधान हो गया है और न्यूतनम साझा कार्यक्रम में यह दिखेगा.पीडीपी संरक्षक ने कहा, ‘‘कृपया कुछ समय के लिए इंतजार कीजिए. मतभेदों को सुलझा लिया गया है और सीएमपी में हर चीज स्पष्ट होगी.’’
सईद के कल नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने की संभावना है.भाजपा जहां संविधान से अनुच्छेद 370 को हटाने की वकालत कर रही है वहीं पीडीपी संविधान के प्रावधानों को मजबूत करने के पक्ष में है ताकि भारतीय संघ में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल हो.दोनों दलों का सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफ्सपा) को लेकर भी बिल्कुल विपरीत दृष्टिकोण है, जिसके तहत राज्य में सशस्त्र बलों को मुकदमे से छूट मिली हुई है.
सईद ने कहा कि पीडीपी-भाजपा सरकार राज्य में क्षेत्रीय भेदभाव की भावना को खत्म कर सकती है और राज्य के सभी लोगों में सशक्तीकरण की भावना भर सकती है. उन्होंने कहा, ‘‘हम सुनिश्चित करेंगे कि विकास में हर क्षेत्र की हिस्सेदारी हो जैसा कि हमने 2002 से 2005 के बीच छोटे कार्यकाल के दौरान किया था.’’
सईद ने प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि कश्मीर में कुछ घटनाओं के सिलसिले में उनके कार्यों से उम्मीद जगी है.उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत रुप से नहीं जानता लेकिन चतेरगाम गोलीबारी घटना (पिछले वर्ष) में की गई कार्रवाई और माचिल फर्जी मुठभेड मामले में सैनिकों के खिलाफ हुई कार्रवाई संकेत देती है कि वह मानवाधिकार के मुद्दे पर गंभीर हैं.’’ पिछले वर्ष तीन नवम्बर को बडगाम जिले के चतेरगाम में सेना की गोलीबारी में दो लडके मारे गए थे. सेना ने जांच के आदेश दिए और अपने सैनिकों को दोषी पाया था.
सेना के कोर्ट मार्शल ने पाया कि अप्रैल 2010 में माचिल मुठभेड में कई सैनिक दोषी हैं जिसमें पुरस्कार और समय से पहले पदोन्नति के लिए तीन निदरेष नागरिकों की हत्या कर दी गई थी.सईद ने नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की भी तारीफ करते हुए कहा कि राज्य के लोगों के कल्याण के लिए उन्होंने कुछ अच्छे कदम उठाए थे.
सईद ने कहा, ‘‘शेख साहिब ने जिला कल्याण बोर्ड का गठन किया. वह स्थानीय विधायकों की बात सुनते थे और जहां जरुरत होती थी वहां तुरंत निर्देश जारी करते थे.’’ पीडीपी ने 1977 में शेख अब्दुल्ला नेतृत्व सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ 1975 के दिल्ली समझौते के बाद नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक को राज्य की सत्ता सौंपी गई थी.

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