प्रदीप जैन की पत्नी से सलेम ने पूछा था, क्या पति की मौत का मातम नहीं मना रही हो

मुंबई : आखिरकार माफिया डॉन को आज अपने किये की सजा मिल गयी. लोगों में खौफ पैदा करना, फिरौती मांगना और फिरौती नहीं देने पर हत्या कर देना उसका शगल बन गया था. फिरौती नहीं देने पर उसके गुर्गो ने मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की ताबड़तोड़ गोलीबार कर हत्या कर दी थी. 1995 में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 25, 2015 1:29 PM
मुंबई : आखिरकार माफिया डॉन को आज अपने किये की सजा मिल गयी. लोगों में खौफ पैदा करना, फिरौती मांगना और फिरौती नहीं देने पर हत्या कर देना उसका शगल बन गया था. फिरौती नहीं देने पर उसके गुर्गो ने मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की ताबड़तोड़ गोलीबार कर हत्या कर दी थी. 1995 में जैन पर जिस समय हमला किया गया, उस समय उनके साथ उनके भाई सुनील जैन भी. खुद सुनील जैन को इस हमले में छह-सात गोली लगी थी, जबकि प्रदीप जैन को 12-13 गोली लगी थी. बावजूद इसके सुनील जैन अपने भाई को बचाने के लिए कार में लेकर अस्पताल तक पहुंचे थे, हालांकि वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
अब सलेम को आज मुंबई की टाडा अदालत ने ताउम्र जेल की सजा सुना कर उसे उसके किये की सजा दे दी. पीड़ित पक्ष की पैरवी करने वाले चर्चित वकील उज्‍जवल निकम ने मीडिया से अबू सलेम की क्रूरता की कहानी भी साझा कि जिस बारे में उन्होंने अदालत को बताया था. निकम के अनुसार, प्रदीप जैन की हत्या के बाद सलेम ने मुंबई से उनकी पत्नी को फोन किया और पूछा क्या तुम अपने पति की मौत का मातम नहीं मना रही हो और इतना पूछ कर वह ठठाकर फोन पर हंसने लगी.
उसके फोन करने और क्रूर हंसी से जैन परिवार बुरी तरह डर गया. जिस प्रदीप जैन ने जीवित रहते उसे कभी फिरौती नहीं दी, उनके मरने के बाद उनके घर वाले परिवार के बाकी लोगों का जान बचाने के लिए उसे फिरौती देने लगे. यह था माफिया डॉन का खौफ. उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ का रहने वाला अबू सलेम मुंबई शुरुआती दिनों में मैकेनिक, हॉकर व ड्राइवर का काम करता था. बाद में उसका संपर्क दाऊद इब्राहिम गिरोह से हो गया और वह उसके लिए काम करने लगा. बाद में उसने अपना खुद का माफिया साम्राज्य तैयार किया. उसे व उसकी गर्लफ्रेंड रही फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी को पुर्तगाल से प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया था. प्रत्यर्पण कानूनों के कारण ही वह फांसी की सजा से बच पाया. हालांकि उज्‍जवल निकम के अनुसार, उसने उम्रकैद से बचने के लिए भी अदालत में काफी दलीलें दी, जो उसके काम नहीं आयीं.

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