सरकार ने विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक में बदलाव के दिये संकेत
नयी दिल्ली: विरोधी दलों के साथ ही गठबंधन सहयोगियों के विरोध के स्वरों के बीच सरकार ने आज विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक में बदलाव के संकेत दिए. इस बीच राजग के एक अन्य घटक दल लोजपा ने भी विधेयक के प्रावधानों पर अपना विरोध दर्ज कर सरकार की मुश्किलें बढा दीं. विपक्ष ने लोकसभा से […]
नयी दिल्ली: विरोधी दलों के साथ ही गठबंधन सहयोगियों के विरोध के स्वरों के बीच सरकार ने आज विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक में बदलाव के संकेत दिए. इस बीच राजग के एक अन्य घटक दल लोजपा ने भी विधेयक के प्रावधानों पर अपना विरोध दर्ज कर सरकार की मुश्किलें बढा दीं.
विपक्ष ने लोकसभा से बहिर्गमन करके इस मामले पर सरकार पर दबाव बनाए रखा, जबकि कांग्रेस ने विधेयक के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन का रास्ता अपनाया और देशभर में विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दी.भूमि अधिग्रहण विधेयक पर शिवसेना के एतराज के बाद रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी ने भी कानून के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई और सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की.
पार्टी सांसद चिराग पासवान ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में लोजपा किसानों से जमीन लेते समय उनकी सहमति की जरुरत को खत्म करने जैसे प्रावधानों को लेकर चिंतित है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें कुछ उपायों पर एतराज है. किसानों की सहमति की जरुरत खत्म करने को लेकर हमें आपत्ति है. इसके साथ ही उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार भी नहीं दिया गया है.’’
इस विधेयक को लेकर सरकार पर अपने पराए सभी के दबाव के बीच दो वरिष्ठ मंत्रियों ने आज कहा कि सरकार विपक्ष के सुझावों पर विचार करने और किसानों पर होने वाले किसी भी तरह के अन्याय को रोकने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को तैयार है.
संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडु ने लोकसभा में कहा, ‘‘अगर भूमि अधिग्रहण अधिनियम में कुछ खामियां हैं तो हम उसपर बात करने को तैयार हैं. हम किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होने देंगे. हम किसानों के हाथ मजबूत करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को तैयार हैं.’’ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मीडिया को बताया कि सरकार अन्य पार्टियों द्वारा पेश किए जाने वाले अच्छे सुझावों को स्वीकार करने को तैयार है.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर लोगों के पास सामाजिक प्रभाव आकलन अथवा किसानों की सहमति संबंधी प्रावधानों पर कुछ अच्छे सुझाव हैं तो हम उन्हें सुनने के इच्छुक हैं.’’ इस बीच सूत्रों ने कहा कि पांच वरिष्ठ मंत्रियों से कहा गया है कि वह विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से विचार कर विधेयक में किए जा सकने वाले बदलावों पर सहमति तैयार करें.
ऐसी खबरें थीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अध्यादेश में बदलावों के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन उनके इस ख्याल की पुष्टि नहीं हो पाई. एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि विधेयक में अगर कोई बदलाव होगा भी तो वह बहुत बडा न होकर छोटा मोटा ही हो सकता है.भाजपा के एक अन्य सहयोगी अकाली दल ने कहा कि विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर उसके भी कुछ मुद्दे हैं. पार्टी ने इस संबंध में बडे भूभाग के अधिग्रहण के मामले में सामाजिक प्रभाव आकलन और अधिग्रहण से पहले किसानों की सहमति लेने से जुडे प्रावधानों का जिक्र किया.
पार्टी सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि अकाली दल ने अपनी इस राय से सरकार को अवगत करा दिया है कि किसानों के हितों की रक्षा की जानी चाहिए हालांकि रोजगार सृजन और विकास भी उतना ही जरुरी है.उनका कहना था कि अकाली दल के सुझावों पर सरकार ने सकारात्मक जवाब दिया. पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल सहित अकाली दल के नेता इस मामले पर विचार करने के साथ ही अपनी रणनीति को अंतिम रुप देने के लिए कल राजधानी में होंगे.