नयी दिल्ली : रेलवे की वित्तीय खस्ताहाली के बीच रेल मंत्री सुरेश प्रभु गुरुवार को अपना पहला बजट पेश करेंगे जिसमें किराये-भाड़े पर लोगों की नजर होगी. साथ ही लोग यह भी देखेंगे कि सेवाओं में सुधार, सुरक्षा और साफ-सफाई के लिए क्या पहल की जा रही है. बजट में नयी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल से जुड़े प्रस्ताव शामिल किये जाने की भी संभावना है.
रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा डीजल के दाम में कमी के बावजूद किराये में कटौती की संभावना से इनकार कर चुके हैं, लेकिन प्रभु के समक्ष अपने बजट में रेलवे की आमदनी और भारी आवश्यकताओं के बीच संतुलन साधने की एक बडी चुनौती होगी. प्रभु माल भाड़े को ऊंचा कर यात्री सेवाओं को सस्ता रखने की आडी सब्सिडी को घटाने के बारे में योजना का खुलासा कर सकते हैं. रेलवे में आडी सब्सिडी 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है. साथ ही वह माल भाड़े में वृद्धि या बिना वृद्धि के वस्तुओं की कुल राष्ट्रीय ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए उपायोग की भी घोषणा कर सकते हैं.
बुलेट ट्रेन चलाने की योजना महत्वाकांक्षी : एनडीए सरकार के बुलेट ट्रेन के वादे को ध्यान में रखकर प्रभु मुंबई-अहमदाबाद के बीच महत्वकांक्षी तीव्र गतिवाली ट्रेन परियोजना के लिए आगे के कदम की घोषणा कर सकते हैं. साथ ही प्रस्तावित हीरक चतुभरुज मार्ग के लिए सर्वे कार्यक्रम का भी एलान किया जा सकता है. राजधानी और शताब्दी मार्गो पर यात्र समय में कमी लाने के लिए बजट में बहु-प्रतीक्षित 20 ट्रेन खरीदने की योजना की भी घोषणा की जा सकती है. बजट में मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलनेवाली ट्रेनों के लिए रेलवे के चेन्नई कारखाने में उपयुक्त डिब्बों के विनिर्माण की योजना की भी घोषणा की जा सकती है. इसके अलावा शारीरिक रूप से नि:शक्त लोगों के लिए कुछ उपायों की घोषणा हो सकती है.
359 परियोजनाओं का काम बाकी
रेलवे को फिलहाल 1,57,883 करोड़ रुपये मूल्य की 676 परियोजनाओं को मंजूरी मिली हुई है और इनमें से केवल 317 परियोजनाएं पूरी की जा सकती हैं और 359 परियोजनाओं के लिए 1,82,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. ऐसे में एक सुधारक के रूप में पहचाने जानेवाले प्रभु रेलवे के लिए निजी निवेश आकर्षित करने को लेकर रूपरेखा प्रस्तुत कर सकते हैं. कोष की बाधाओं को देखते हुए वह नयी ट्रेनों और परियोजनाओं की घोषणा को लेकर थोड़ा ठंडा रुख अपना सकते हैं. सूत्रों के अनुसार कोष का आवंटन केवल उन्हीं परियोजनाओं के लिए किया जायेगा जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं. इसमें पूरा होने के करीब पहुंच चुकी महत्वपूर्ण नयी रेल लाइन, डबल लाइन तथा रेल मार्ग का विद्युतीकरण शामिल हैं. प्रभु राज्य सरकारों तथा अन्य बाहरी एजेंसियों को शामिल कर परियोजनाओं को पूरा करने के लिये संयुक्त उद्यम व्यवस्था की घोषणा करेंगे.