नयी दिल्ली : राहुल गांधी को अप्रैल में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. लोकसभा चुनावों और उसके बाद कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी संकट से जूझ रही है और संगठन में व्यापक फेरबदल की दरकार लगती है. जहां एक ओर बजट सत्र के दौरान उनकी छुट्टी पर जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है वहीं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं ने ऐसे समय में राहुल को बडी जिम्मेदारी देने का समर्थन किया है.
उल्लेखनीय है कि कल पार्टी नेता जगदीश शर्मा ने दावा किया था कि राहुल गांधी उत्तराखंड में छुट्टी मना रहे हैं जिसका फोटो उन्होंने ट्विटर पर भी पोस्ट किया था हालांकि पार्टी ने इसका खंडन किया है.बताया जा रहा है कि जगदीश शर्मा प्रियंका गांधी के समर्थक हैं और वे चाहते हैं कि पार्टी की कमान उन्हें सौंप दी जाये. वे ही नहीं समय -समय पर कांग्रेस की कमान प्रियंका को सौंपने संबंधी खबर आती रहती है. अब ऐसे में राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपने की कवायत तूल पकड़ सकता है.
नौ बार से लोकसभा के सदस्य कमलनाथ ने कहा कि राहुल गांधी को पार्टी की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी जानी चाहिए. एक पार्टी में दो नीति निर्माता इकाइयां नहीं हो सकतीं. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि राहुल को अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए क्योंकि मौजूदा हालात में लगता है कि राहुल या सोनिया में से कोई काम नहीं कर रहा. कमलनाथ ने कहा, ‘‘सोनिया गांधी सोचती हैं कि राहुल गांधी कुछ कर रहे हैं और राहुल सोचते हैं कि सोनिया कुछ कर रहीं हैं. ऐसी स्थिति होनी चाहिए कि कमान राहुल के हाथ में हो.’’अप्रैल में कांग्रेस का सत्र बेंगलूरु या शिमला में हो सकता है जिसमें पार्टी को संकट से उबारने के तरीकों पर विचार होगा. कांग्रेस में सोनिया गांधी सबसे अधिक समय तक पार्टी अध्यक्ष रही हैं. उन्होंने 1998 में सीताराम केसरी से यह जिम्मेदारी ली थी और तब से अभी तक पार्टी की कमान संभाल रही हैं.
उनके नेतृत्व में कांग्रेस 1999 के आम चुनावों में भाजपा नीत राजग के आगे हार गयी थी लेकिन 2004 के चुनाव में वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन बनाकर सत्ता में आई. राहुल गांधी को जनवरी, 2013 में जयपुर में पार्टी के चिंतन शिविर में महासचिव से उपाध्यक्ष बनाया गया था. पिछले साल लोकसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाकर उन्हें एक तरह से पार्टी का चेहरा बनाकर पेश किया गया था.
राहुल के पार्टी उपाध्यक्ष बनने से पहले और बाद में पार्टी की पराजय के दौर के बावजूद उन्हें पार्टी के शीर्ष पद का स्वाभाविक दावेदार समझा जाता है क्योंकि वह कांग्रेस के प्रथम परिवार से ताल्लुक रखते हैं. राहुल के अचानक छुट्टी पर चले जाने को पार्टी में उनके कुछ फैसलों के अमल में नहीं लाये जाने के चलते नाराजगी से जोडकर भी देखा जा रहा है. उनके करीबी सूत्र कहते हैं कि यह धारणा बिल्कुल गलत है कि राहुल पार्टी में जो चाहते हैं, वह कराते हैं. राहुल गांधी और पार्टी के पुराने नेताओं के कामकाज के तरीके में अंतर भी कई बार सामने आया है.