उम्मीदों के ट्रैक पर आज प्रभु कितनी स्पीड में दौड़ायेंगे रेल?

नयी दिल्ली : इस बार के रेल बजट से लोगों की हजार उम्मीदें जुड़ी है. पिछले एक दशक से पॉपुलर रेल बजट देख रहे देश को इस बार रेलमंत्री से सुधारवादी रेल बजट की उम्मीद है. शायद इसलिए रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने दूरदर्शन से बजट पूर्व एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा भी है कि हमारा सफर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 26, 2015 11:27 AM
नयी दिल्ली : इस बार के रेल बजट से लोगों की हजार उम्मीदें जुड़ी है. पिछले एक दशक से पॉपुलर रेल बजट देख रहे देश को इस बार रेलमंत्री से सुधारवादी रेल बजट की उम्मीद है. शायद इसलिए रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने दूरदर्शन से बजट पूर्व एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा भी है कि हमारा सफर लंबा और कठिन होगा. उन्होंने यात्री सुविधाओं पर भी ध्यान देने पर जोर दिया है. सुरेश प्रभु कड़े फैसले लेने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं, इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं इस बार का रेल बजट कुछ खास होगा. रेलमंत्री सुरेश प्रभु के बारे में लोग अनुमान लगा रहे हैं कि वे लंबी रेस के उस धावक की तरह व्यवहार करते दिखेंगे, जो अपने दूरगामी लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपना दमखम बनाये रखने हेतु शुरू में धीमी गति से दौड़ता है, न कि उस धावक की तरह जो शुरू में ही पूरे जोर से दौड़ता है और बाद में बेदम हो जाता है.
जानकारों का कहना है कि इस रेल बजट से इस बात का संकेत मिलेगा कि निजीकरण की राह पर भारतीय रेल किस तरह आगे बढ़ेगी. सरकार के लिए इसमें स्पष्टता लाना भी आवश्यक होगा. बीते महीनों जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर के दौरे के दौरान पहली बार रेलवे में निजी पूंजी लगाने व पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की बात कही थी, तो देश में इसके खिलाफ स्वर मुखर हो गये थे. जिसके बाद सरकार को यह स्पष्ट करना पड़ा था कि निजी पूंजी लगाने व पीपीपी मोड का मतलब रेलवे का निजीकरण करना नहीं है. बहरहाल, सुरेश प्रभु आज अपने बजट के माध्यम से यह संकेत देंगे कि सरकार रेलवे का कैसे व्यवसायीकरण व निजीभागीदारीकरण करेगी. सरकार प्राइवेट कंपनियों की स्पांसर की हुई ट्रेनें चलाने का एलान कर सकती है. साथ ही रेलमंत्री पर्यटन केंद्रों को रेलवे से जोड़ने के लिए अहम घोषणा कर सकते हैं, जिसका उल्लेख मोदी खुद अपने भाषणों में करते रहे हैं. रेलवे में 100 प्रतिशत एफडीआइ जैसे बिंदुओं पर सरकार के स्टैंड की झलक भी बजट में मिलेगी.
इस बजट से यह संकेत भी मिलेगा कि क्या मोदी सरकार अपने कहे अनुसार, रेलवे को सचमुच देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनायेगी या फिर पूर्व की सरकारों की तरह इसका चुनावी उपयोग के लिए ही उपयोग करती रहेगी. बीते तीन दशकों में नीतीश कुमार के कार्यकाल को छोड़ कर रेलवे में बड़े सुधार नहीं हो सके. वाजपेयी सरकार के रेलमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने लंबे अरसे बाद रेलवे में सुधारों की शुरुआत की थी. उनके पूर्व रेलवे के फैसलों पर पोपुलरिज्म हावी था और बाद में वही हावी रहा, जिसकी परिणति यह हुई कि आय और व्यय का अनुपात लगातार बिगड़ता गया. इसका सबसे बुरा स्वरूप सुधारों के लिए प्रयासरत दिनेश त्रिवेदी के रेलमंत्री के पद से अपमानजनक ढंग से विदाई के रूप में दिखा.
यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए यह सरकार कौन से कदम उठायेगी इस पर सबकी नजरें टिकी हैं. महिला सुरक्षा एक अहम सवाल है. संभव है कि इस रेल बजट में सुरेश प्रभु महिला डब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के कार्यक्रम की शुरुआत कर सकते हैं. संभावना यह भी जतायी जा रही है कि सरकार 8000 रेल स्टेशनों का प्रबंधन निजी हाथों में सौंप सकती है. जबकि 10 हाइस्पीड इएमयू ट्रेनें चलाने की भी संभावना है. रेलवे में वैकल्पिक ऊर्जा स्नेतों के उपयोग पर भी रेलमंत्री घोषणाएं कर सकते हैं.
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने अपने एक टीवी परिचर्चा में एक बार कहा था कि स्वच्छ भारत कार्यक्रम को फोकस करने से देश में पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है. ऐसे में संभावना है कि रेलमंत्री सुरेश प्रभु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टाइमप्रेफ के अनुरूप रेलवे में 2019 तक संपूर्ण स्वच्छता का लक्ष्य हासिल करने की योजना का एलान करेंगे. उम्मीद यह भी जतायी जा रही है कि भारत गौरव नाम से एसी एक्सप्रेस ट्रेन चलायी जा सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लिए सेफ्टी लोकोमोटिव का एलान किया जा सकता है. चुनाव के मद्देनजर बिहार के लिए भी कुछ घोषणा हो सकती है.

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