नयी दिल्ली: भाजपा और आरएसएस नेताओं द्वारा हाल में दिए गए विवादित बयानों पर आज विपक्ष ने राज्यसभा में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ‘‘आरएसएस सरकार’’ है तथा धर्मान्तरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री एवं भाजपा नेता अलग अलग सुरों में बोल रहे हैं.
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सांप्रदायिक भाषणों को लेकर विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला
नयी दिल्ली: भाजपा और आरएसएस नेताओं द्वारा हाल में दिए गए विवादित बयानों पर आज विपक्ष ने राज्यसभा में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ‘‘आरएसएस सरकार’’ है तथा धर्मान्तरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री एवं भाजपा नेता अलग अलग सुरों में बोल रहे हैं. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर […]
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेता धर्मातरण मुद्दों पर अलग अलग राय व्यक्त कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री ने एक बैठक में सहिष्णुता और नागरिकों के अपने धर्म को मानने के अधिकार पर पर जोर दिया था. उन्होंने कहा कि मोदी ने घृणा फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के बारे में कोई बयान नहीं दिया है.
उन्होंने कहा कि लेकिन अभिभाषण में समानता के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है.येचुरी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह एक साथ दो एजेंडा पर काम कर रही है. एक सार्वजनिक एजेंडा है जबकि उसका वास्तविक छुपा हुआ एजेंडा कुछ और है. उन्होंेने कहा कि सरकार का धर्मनिरपेक्ष भारत को हिन्दू भारत में बदलने का एजेंडा है. इस क्रम में उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा के बारे में टिप्पणी, लव जिहाद आदि ऐसे ही मुद्दे हैं.
उन्होंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भजपा अध्यक्ष के हालिया बयानों को उद्धृत करते हुए आरोप लगाया कि यह ‘‘आरएसएस सरकार’’ है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा हिन्दू राष्ट्रवाद के जरिए वोट बैंक की राजनीति कर रही है ताकि नफरत फैलाकर बहुसंख्यक लोगों का ध्रुवीकरण किया जा सके. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति की के एक हालिया बयान का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को ध्यान में रखना चाहिए कि पूरा विश्व हमें देखता है. स्वामी विवेकांनद को उद्धृत करते हुए उन्होंने सर्वधर्मसंभाव को कायम रखने की जरुरत पर बल दिया.
चुनाव के समय काला धन वापस लाने सहित किए गए वादों का जिक्र करते हुए येचुरी ने कहा कहा कि अब उनकी पार्टी के अध्यक्ष उन्हें चुनावी जुमले बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार ‘‘मेक इन इंडिया’’ की बात कर रही है, दूसरी ओर तमिलनाडु में नोकिया का एक संयंत्र बंद हो जाने से लगभग 25 हजार लोग बेरोजगार हो गए.
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में हुयी कमी का एक तिहाई लाभ ही आम लोगों को दिया. येचुरी ने कहा कि रबी के मौसम में खेती के रकबे में 5.3 प्रतिशत की कमी आयी है. उन्होंने कहा कि किसानों ने खेती के फायदेमंद नहीं होने के कारण बुआई नहीं की. उन्होंने कहा कि लोगों का खेती से पलायन हो रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कोयला क्षेत्र का पिछले दरवाजे से निजीकरण का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि फैक्टरी उत्पादन विकास दर पिछले साल की 3.9 प्रतिशत की अपेक्षा घटकर अब 1.7 प्रतिशत रह गयी है. निर्यात दर में भी खासी कमी आयी है. परमाणु जवाबदेही कानून का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अमेरिकी हितों के सामने समर्पण कर दिया है.
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संप्रग सरकार का भूमि कानून त्रुटिपूर्ण था और यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा था. उन्होंने कहा कि इसका देश की सुरक्षा पर काफी असर हो सकता था और सुरक्षा प्रतिष्ठानों की स्थापना में विलंब हो रहा था. उन्होंने कहा कि सरकार ने इसमें सुधार किया है.
पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा कि उसने रक्षा और सुरक्षा को अत्यावश्यक श्रेणी में रखा लेकिन भूमि अधिग्रहण के लिए छूट वाली श्रेणी में डालना भूल गए. उन्होंने कहा कि इस वजह से रणनीतिक प्रवृति वाली परियोजनाú में ग्रामीणों की सहमति, स्थान और परियोजना के प्रकार का खुलासा करने की जरुरत बनी रही. इससे इस प्रकार की सूचना पाकिस्तान तक पहुंचने की आशंका बनी रहती.
जेटली ने कहा, दुष्प्रचार किया जा रहा है कि विधेयक किसान विरोधी और कारपोरेट क्षेत्र के लिए है… मैं कांग्रेस से हाथ जोडकर अनुरोध करता हूं कि.. आप लंबे समय तक सत्ता में रहे हैं… देश में ऐसा माहौल मत बनाइए कि जिसमें बुनियादी ढांचा और उद्योग खराब शब्द बन जाएं. उन्होंने कहा कि जब कानून बना था, उस समय 13 क्षेत्रों को भूमि कानून, सामाजिक प्रभाव सर्वेक्षण और सहमति वाले उपबंध से छूट प्रदान की गयी थी. उन्होंने कहा कि राजग सरकार ने परमाणु ऊर्जा सहित सिर्फ पांच नए क्षेत्रों को इसमें शामिल किया है.
जेटली ने कहा कि नए विधेयक में मुआवजा और पुनर्वास के बारे में कोई समझौता नहीं किया गया है तथा मुआवजा बढाया गया है जिसे किसानों के हित के तौर पर देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून को इस तरीके से तैयार किया गया है कि इससे ग्रामीण आधारभूत ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी और सिंचाई जैसे मुद्दों का हल किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए घर सरकार की जिम्मेदारी है और यह बिल्डरों और उद्योग जगत के लिए नहीं है, जैसा पेश किया जा रहा है. जेटली ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा पर भी निशाना साधा और पिछली सरकार के दौरान शर्मा द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे एक आधिकारिक पत्र का भी हवाला दिया.
उन्होंने राजग सरकार के नौ महीनों के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि इस अवधि में भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार और घोटाला जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं हुआ जो पूर्व की अवधि में आए दिन की बात थी.बीजद के ए वी सिंह देव ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने देश के अपने दौरे के बाद धार्मिक सहिष्णुता के संबंध में बयान दिये और बाद में प्रधानमंत्री ने भी समान भावना का इजहार किया लेकिन इसके बावजूद कुछेक नेताओं के भडकाउ बयान आना जारी है. उन्होंने कहा कि यह अजीब स्थिति है कि प्रधानमंत्री कुछ बयान देते हैं और कुछ सांसद अलग ही बयान देते हैं.
तेदेपा के टी देवेन्द्र गौड ने कहा कि देश में कई समस्याओं के निपटारे के लिए विकेंद्रीकरण एक बढिया समाधान है. उन्होंने कहा कि सरकार के लिए आर्थिक सुधार ही सबसे महत्वपूर्ण नहीं होना चाहिये बल्कि प्रशासनिक और न्यायायिक सुधार पहले किए जाने चाहिए.
मनोनीत सदस्य एच के दुआ ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में विदेश नीति और सुरक्षा संबंधित मामलों पर अधिक नहीं बोला गया है. उन्होंने कहा कि देश के आर्थिक शक्ति के रुप में उभरने के साथ साथ राष्ट्रीय एकता भी महत्वपूर्ण पहलू होता है जिस संदर्भ में हाल के दिनों में कुछ विचलित करने वाली परिस्थितियां देखी गई हैं.
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ संबंधों को बेहतर बनाये जाने की जरुरत पर बल देते हुए कहा कि हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढा है और सरकार को हिन्द महासागर की ओर ध्यान देना होगा. उन्होंने पश्चिम एशिया की ओर भी ध्यान दिये जाने की जररत बताई जहां के कई देशों से भारत कच्चे तेल की आपूर्ति होती है.
टीआरएस के डा केशव राव ने कहा कि दुनिया में देश की पहचान एक बहुलतावादी समाज की होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ योजना को धरातल पर लागू नहीं किया जा सका है.उन्होंने लोगों के वित्तीय समावेश के लिए प्रधानमंत्री जन धन योजना का जिक्र करते हुए दावा किया कि इनमें कोई भी खाता परिचालन में नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिये कि इनका परिचालन कैसे हो सके और लोगों को इसका लाभ मिले.उन्होंने मनरेगा कार्यक्रम का परिव्यय लक्ष्य से कम होने की बात रखते हुए कहा कि दक्षता विकास के कार्यक्रम में उपलब्धि लक्ष्य से काफी कम है. उन्होंने सरकार पर निगमित कंपनियों का दबदबा होने का आरोप मढा.
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