सुप्रीम कोर्ट का फैसला, दोबारा हिंदू बनने वाले को उसकी जाति के लोग स्वीकार करें
नयी दिल्ली : यदि कोई व्यक्ति पहले अनुसूचित जाति (एससी) में था तो वह पुनर्धर्मांतरण के बाद उसी जाति में रहेगा और उसे पूरी सुविधा दी जायेगी. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है. कोर्ट ने इस मामले में कहा कि अगर व्यक्ति दोबारा धर्म परिवर्तन करके फिर से हिंदू बनता है तो वह अपना […]
नयी दिल्ली : यदि कोई व्यक्ति पहले अनुसूचित जाति (एससी) में था तो वह पुनर्धर्मांतरण के बाद उसी जाति में रहेगा और उसे पूरी सुविधा दी जायेगी. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है. कोर्ट ने इस मामले में कहा कि अगर व्यक्ति दोबारा धर्म परिवर्तन करके फिर से हिंदू बनता है तो वह अपना एससी का दर्जा बरकरार रख सकता है इतना ही नहीं उसे उस जाति की सारी सुविधायें दी जायेंगी.
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस वी.गोपाल गौड़ा की खंडपीठ ने केरल निवासी याचिकाकर्ता केपी मनु के संबंध में कहा कि एक दलित जिसके माता-पिता या दादा-दादी ईसाई धर्म अपना चुके हैं वह वापस हिंदू धर्म अपनाने पर अपना एससी का दर्जा कायम रख सकता है. अगर उसके समुदाय ने उसे जाति से बाहर किया होता तो बात अलग हो सकती थी। इसलिए वापस हिंदू धर्म स्वीकार करने के बाद उसकी जाति बहाल हो सकती है.
अदालत ने कहा कि जाति का लाभ लेने का दावा करने वाले व्यक्ति के पुनर्धर्मांतरण के बाद जारी सर्टीफिकेट में तीन बातों का उल्लेख होना चाहिए. गौरतलब है कि इन दिनों धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है. कुछ हिंदू संगठन अन्य धर्म के लोगों का पुर्नधर्मांतरण करा रहे हैं. इनका कहना है कि इनके पूर्वज पहले हिंदू धर्म के थे और ये अपने धर्म में वापसी कर रहे हैं.