नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं के अलग-अलग सुर
नयी दिल्ली: राहुल गांधी के अचानक छुट्टी पर चले जाने से कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है क्योंकि इस मुद्दे पर पार्टी के सभी नेताओं के सुर अलग-अलग हैं. कुछ का मानना है कि राहुल पार्टी के शीर्ष पद पर आसीन हों और कांग्रेस में चल […]
नयी दिल्ली: राहुल गांधी के अचानक छुट्टी पर चले जाने से कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है क्योंकि इस मुद्दे पर पार्टी के सभी नेताओं के सुर अलग-अलग हैं.
कुछ का मानना है कि राहुल पार्टी के शीर्ष पद पर आसीन हों और कांग्रेस में चल रहे दो शक्ति केंद्रों की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त करें जबकि अन्य लोगों के विचार से सोनियां गांधी को अभी अवकाश ग्रहण नहीं करना चाहिए.कांग्रेस अध्यक्ष के अवकाश ग्रहण करने की सलाह को पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्वनी कुमार ‘‘पूरी तरह से अवांछित और बेहद बदमजा’’ बताते हुए कहा कि पार्टी को ‘‘इस नाजुक मोड पर समेकित नेतृत्व की आवश्यकता है.’’हालांकि एक अन्य पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश का मानना है कि राहुल गांधी एक बार जब शीर्ष पद पर आसीन हो जाएंगे तो फैसले लेने लगेंगे और सोनिया गांधी जैसा नेतृत्व प्रदान करेंगे.
कांग्रेस उपाध्यक्ष के करीबी माने जाने वाले राज्यसभा सदस्य रमेश ने कहा, ‘‘यह निर्णय उनपर, कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस कार्य समिति और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति पर निर्भर है लेकिन मेरा विचार है कि जब वह पद संभालेंगे तो वह निर्णयात्मक होंगे.मुझे लगता है कि वह श्रीमती गांधी जैसा ही नेतृत्व प्रदान करेंगे.’’राहुल के अचानक छुट्टी पर चले जाने के बारे में रमेश ने कहा, ‘‘मुझे लगता है, या जहां से मैं सोचता हूं, वह कांग्रेस को पुन:जीवित करने के विस्तृत ब्लूप्रिंट पर काम कर रहे हैं.
यह 2014 की चुनावी हार के मद्देनजर है.’’रेखांकित करते हुए कि एक पार्टी के भीतर फैसला करने वाली दो संस्थाएं नहीं हो सकतीं, नौ बार के लोकसभा सदस्य कमलनाथ ने बुधवार को कहा कि राहुल को पार्टी की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए.इस संबंध में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि राहुल को स्वतंत्र रुप से काम नहीं करने दिया जा रहा है और ‘‘दिल्ली में कुछ शक्तिसंपन्न लोग’’ उनके सुधार संबंधी फैसलों को रोकने का प्रयास कर रहे हैं.