नयी दिल्ली :दिल्ली की शानदार जीत के बाद आम आदमी पार्टी अपने अंतर्कलह के कारण मीडिया की सुर्खियां बन गयी है. पार्टी के बड़े नेताओं के बीच जारी वर्चस्व की लड़ाई उन नेताओं के समर्थकों की मीडिया के सामने उधेड़ रहे हैं. इसके लिए चिट्ठी बम का प्रयोग किया जा रहा है. तरह-तरह की चिट्ठियां सामने आ रही हैं. पार्टी के आंतरिक लोकपाल के पद पर बने रामदास की चिट्ठी के बाद प्रवक्ता दिलीप पांडेय की चिट्ठी लीक हुई जिसमें शांति भूषण, प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ षडयंत्र का आरोप लगाया है.
उन्होंने लिखा है कि ये चाहते थे कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बनें ताकि केजरीवाल को नेता विपक्ष का पद मिले फिर वो पार्टी में एक पद की मांग उठा कर उन्हें संयोजक के पाद से हटा सकें. आशुतोष ने भी टि्वट करके इस पूरे मामले पर चुप्पी तोड़ दी उन्होंने कहा कि वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले जम्मू कश्मीर में जनतम संग्रह की मांग करने वाले और आशावादी राजनीति करने वाले लोगों के बीच का यह टकराव है.
पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंहने एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि हम पार्टी के अंदर जारी मतभेद से बहुत दुखी है. पार्टी की अंदर की बातें मीडिया में आ रही है चिट्ठियों को सार्वजनिक कर दिया जा रहा है. इस तरह का कदम पार्टी को कमजोर करने के लिए उठाया जा रहा है. इस बार राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में कई अहम फैसले लेने वाले हैं.
हमारे सूत्र बताते हैं कि पार्टी बड़े बदलाव की ओर आगे बढ़ रही है एक तरफ प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव सरीखे नेता अरविंद केजरीवाल के दो पदों पर बने रहने का विरोध कर रहे हैं वहीं पार्टी के दूसरे नेताओं का मानना है कि संयोजक के पद से केजरीवाल को हटाने से उनके पास जो चेहरा है वो छिन जायेगा. नेताओं का मानना है कि देश में अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी के बाद दूसरे लोकप्रियनेता हैं ऐसे में उन्हें अचानक संयोजक पद से हटाने पर पार्टी को नुकसान होगा.
आम आदमी पार्टी हमेशा से दूसरी पार्टियों से अलग होने का दावा करती रही है ऐसे में किसी एक व्यक्ति को पार्टी का सर्वेसर्वा बनाकर आगे बढ़ना कैसे इस पार्टी को दूसरी पार्टियों से अलग करता है. आप के संस्थापक सदस्य शांति भूषण भी अरविंद केजरीवाल को संयोजक पद छोड़ने और योगेन्द्र यादव को आगे बढ़ाने को लेकर मीडिया में खुलकर अपना बयान दे चुके हैं.
कुल मिलाकर पार्टी एक बड़े गृहयुद्ध की ओर बढ़ रही है ऐसे में पार्टी को दिल्ली जीत के बाद मिले हौसले का क्षरण होना शुरू हो चुका है साफ है कि इस मतभेद से पार्टी या तो आगे बढ़ेगी या पार्टी का विकास सिर्फ दिल्ली तक सिमट जायेगा.सूत्रों का कहना है कि आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति से योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण की विदाई लगभग तय है.