जासूसी कांड की जांच की आंच अब एनटीपीसी और कैबिनेट सचिवालय तक पहुंची
नयी दिल्लीः पेट्रोलियम मंत्रालय से शुरू हुई जासूसी कांड की जांच की आंच अब एनटीपीसी और कैबिनेट सचिवालय तक पहुंच गई हैं. अब एनटीपीसी और कैबिनेट सचिवालय के दस्तावेज भी आरोपी लोकेश के पास से बरामद किये गये हैं. यह दस्तावेज काफी अहम है. कैबिनेट सचिवालय कई अहम मामलों में अपने फैसले सुनाता है. ऐसे […]
नयी दिल्लीः पेट्रोलियम मंत्रालय से शुरू हुई जासूसी कांड की जांच की आंच अब एनटीपीसी और कैबिनेट सचिवालय तक पहुंच गई हैं. अब एनटीपीसी और कैबिनेट सचिवालय के दस्तावेज भी आरोपी लोकेश के पास से बरामद किये गये हैं.
यह दस्तावेज काफी अहम है. कैबिनेट सचिवालय कई अहम मामलों में अपने फैसले सुनाता है. ऐसे में इन दस्तावेजों को आरोपियों के पास से मिलना बेहद अहम माना जा रहा है. जासूसी मामले में अबतक 16 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इन गिरफ्तारियों में बड़ी- बड़ी कंपनियों में काम करने वाले लोगों के नाम शामिल है.पेट्रोलियम मंत्रालय में जासूसी के बाद कई ऐसे विभाग हैं, जहां जासूसी का शक जाहिर किया जा रहा है. हाल में ही एक न्यूज चैनल ने खुलासा किया कि रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय जैसे अहम विभागों में जासूसी की गयी.
जानकारी के मुताबिक बीते साल तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी और उस समय के सेनाध्यक्ष जनरल विक्रम सिंह के बीच हुई अहम बैठक और बातचीत की जानकारी एक भेदिए के कारण लीक हो गयी थी. यही नहीं ये खुफिया जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के हाथ भी लग गयी थी. इसके भी करीब दस साल पहले वित्त मंत्रालय में भी जासूसी की खबरें मीडिया में चर्चा का विषय बनी हैं.
गौरतलब है कि पेट्रोलियम मंत्रालय में जासूसी कांड से देश में सनसनी फैली हुई है. चपरासी, क्लर्क से लेकर कई कंपनियों के बड़े अधिकारी गिरफ्तार किये जा चुके हैं. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया कि जासूसी कांड में जिस सुभाष चंद्रा नाम के कॉरपोरेट एक्जीक्यूटिव को गिरफ्तार किया गया है, वो कभी पेट्रोलियम मंत्रालयम में टाइपिस्ट हुआ करता था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सुभाष चंद्रा 2008 से 2011 तक पेट्रोलियम मंत्रालय में एक अंडर सेक्रेटरी के पीए के यहां टाइपिस्ट की नौकरी करता था. इसकी तनख्वाह 8 हजार रुपये महीना था. 2011 में इसने पेट्रोलियम मंत्रालय की नौकरी छोड़ी और 1 लाख 50 हजार रुपये महीने के वेतन पर जुबिलिएंट एनर्जी ज्वाइन की. एक्सप्रेस के मुताबिक सुभाष चंद्रा 2008 से लगातार मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज कई कॉरपोरेट एजेंट को मुहैया करा रहा था.