सरकार बनने के एक दिन बाद पीडीपी ने मांगे अफजल गुरु के अवशेष

जम्मू, नयी दिल्ली: जम्मू कश्मीर में पीडीपी-.भाजपा गठबंधन को सत्ता में आए अभी एक दिन हुआ है और इसपर विवादों के बादल मंडराने लगे हैं. मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव के सफल आयोजन का श्रेय आतंकवादियों और पाकिस्तान को देने के बाद अब पार्टी विधायकों ने संसद पर हमले के दोषी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 2, 2015 5:01 PM
जम्मू, नयी दिल्ली: जम्मू कश्मीर में पीडीपी-.भाजपा गठबंधन को सत्ता में आए अभी एक दिन हुआ है और इसपर विवादों के बादल मंडराने लगे हैं. मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव के सफल आयोजन का श्रेय आतंकवादियों और पाकिस्तान को देने के बाद अब पार्टी विधायकों ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के अवशेषों की मांग करके भगवा पार्टी की कमजोर नस छू दी है.
राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव का श्रेय पाकिस्तान, हुर्रियत और आतंकवादियों को देने के बयान को लेकर मचे तूफान से बेअसर मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का कहना है कि उन्होंने कल जो कहा था, वह उसपर कायम हैं. सचिवालय में कामकाज संभालने के बाद उन्होंने कहा, मैंने जो कहा था, मैं उसपर कायम हूं. हालांकि ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने कल के बयान में कुछ फेरबदल किया, जब उन्होंने कहा, यह मतदाता पर्ची हमें भारत के संविधान ने प्रदान की है. राज्य की जनता का इस (अधिकार) पर ज्यादा विश्वास है.
सईद की पुत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी अपने पिता के बयान के साथ खडी नजर आईं. उनका कहना था कि उनके पिता ने कुछ गलत नहीं कहा और इसी दौरान पीडीपी विधायकों का एक समूह एक हस्ताक्षरित बयान लेकर चला आया, जिसपर लिखा था कि केंद्र गुरु के अवशेष उनके हवाले करे.
हालांकि महबूबा ने स्वीकार किया कि दोनो दलों के बीच इस तरह की खींचतान चलती रहेगी क्योंकि बहुत से मुद्दों पर दोनो पार्टियों के विचारों में जमीन आसमान का अंतर है., हमारे बीच खींचतान चलती रहेगी और सब कुछ रातोंरात नहीं बदलने वाला है.
पीडीपी विधायक खलील बन ने कहा है कि सरकार ने अफजल गुरु को गलत क्रम में फांसी दी. उसका नंबर 28 था पर 27 नंबर वाले को छोडकर उसे फांसी पर लटकाया गया. उन्होंने कहा कि उसके साथ अन्याय हुआ. फिर उसके परिजनों को शव नहीं सौंपा गया यह उसके परिजनों के साथ नाइंसाफी है. बन सहित आठ पीडीपी विधायकों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अफजल गुरु का शव उसके परिजनों को सौंपने की मांग की है. इस विवादित मुद्दे पर फिलहाल केंद्र ने चुप्पी साध ली है. सरकार को कुछ बोलते हुए नहीं बन रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस संबंध में संसद परिसर में पत्रकारों के द्वारा बार-बार पूछे गये सवालों के जवाब में सिर्फ इतना कहा कि अभी हाउस चल रहा है, अभी हाउस चल रहा है.
मालूम हो कि 13 दिसंबर 2001 को संसद पर जैश-ए-मोहम्मद व लश्कर-ए-तैय्यबा नामक आतंकवादी गुटों ने हमला किया था. इस घटना में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की महिला कांस्टेबल और दो सुरक्षा गार्ड शहीद हो गये थे. पुलिस के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी अफजल गुरु इस मामले का मुख्य साजिशकर्ता था. कानूनी प्रक्रिया के बाद दिल्ली हाइकोर्ट ने 2002 में और फिर सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में उसे फांसी की सजा सुनायी थी. उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी लगायी थी, जिसे खारिज कर दिया गया. नौ फरवरी 2013 को उसे दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया गया.

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