अगर सिद्धांतों से समझौता किया जाता रहा तो पार्टी में बने रहने का मतलब नहीं : प्रशांत भूषण

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के तौर-तरीकों से नाराज चल रहे दो नेताओं प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव में से एक भूषण ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने एक अंगरेजी समाचार चैनल से बातचीत में कहा है कि उनकी कुछ मुद्दों पर अरविंद केजरीवाल से भिन्नता है और वे चाहते हैं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 3, 2015 12:58 PM
नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के तौर-तरीकों से नाराज चल रहे दो नेताओं प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव में से एक भूषण ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने एक अंगरेजी समाचार चैनल से बातचीत में कहा है कि उनकी कुछ मुद्दों पर अरविंद केजरीवाल से भिन्नता है और वे चाहते हैं कि इस पर वे उनसे बातचीत करें. उन्होंने कहा है कि वे पार्टी छोड़ने पर विचार नहीं कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने यह जरूर जोड़ा कि अगर उनकी सवालों का निराकरण नहीं किया गया तो वे ऐसा कर भी सकते हैं.
उन्होंने कहा है कि यह मुद्दा काफी गंभीर है, जो पार्टी के मूल सिद्धांत व सोच से जुड़ा है. उन्होंने कहा है कि हाइकमान कल्चर पार्टी के लिए खतरनाक हो सकता है. प्रशांत भूषण के अनुसार, अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक फैसले आम तौर पर सही होते हैं, लेकिन वे गलत भी हो सकते हैं. इसलिए पार्टी में निर्णय लेने की प्रक्रिया बदली जानी चाहिए. उन्होंने कहा है कि हमने एक ऐसी राजनीतिक पार्टी बनायी जो दूसरे दलों से अलग है, जिसमें एक व्यक्ति पर केंद्रित व्यवस्था नहीं हो सकती है.
प्रशांत भूषण ने कहा है कि अगर पार्टी अपने मूलभूत सिद्धांतों से दूर चली जायेगी, तो वे उसके साथ नहीं रह सकते. उन्होंने यह भी कहा कि मैंने या योगेंद्र यादव ने कभी भी अरविंद केजरीवाल को पद से हटाने की बात नहीं की है. उन्होंने कहा है कि मुङो और योगेंद्र को अगर पद से हटाया जाता है, तो यह हमारे के लिए मायने नहीं रखता है. उन्होंने कहा है कि हमें लगता है कि अपने नीति व सिद्धांतों पर अडिग रहना चाहिए, जबकि अरविंद को लगता है कि राजनीति में समझौते करने पड़ते हैं.
उधर, अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि पार्टी में जो कुछ चल रहा है, वे उससे आहत हैं. उन्होंने पार्टी में जारी झगड़े से खुद को अलग करते हुए लिखा है कि उनका पूरा ध्यान दिल्ली के शासन पर केंद्रित है. उन्होंने कहा है कि पार्टी के अंदर जो कुछ चल रहा है, उससे जनता के उस विश्वास को जो उन्होंने पार्टी में व्यक्त किया है, उसे आघात पहुंचता है.

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