ओमप्रकाश चौटाला से राज्य को उम्मीदें थी, लेकिन इन्होंने धोखाधड़ी की : उच्च न्यायालय
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने राज्य के युवाओं से धोखा किया है जिसके लिए वह ‘‘बड़ी’’ सजा पाने के हकदार हैं. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने कहा, ‘‘यह दलील दी जा सकती है कि चौटाला के वृद्ध व्यक्ति होने और उनके राजनीतिक जीवन […]
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने राज्य के युवाओं से धोखा किया है जिसके लिए वह ‘‘बड़ी’’ सजा पाने के हकदार हैं. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने कहा, ‘‘यह दलील दी जा सकती है कि चौटाला के वृद्ध व्यक्ति होने और उनके राजनीतिक जीवन के आखिरी दौर में होने के नाते उनसे कुछ दया बरती जानी चाहिए. इसी कारण से मैं इस दलील से सहमत नहीं हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह व्यक्ति हरियाणा का मुख्यमंत्री था, उससे कहीं अधिक आशाएं थीं और वह राज्य के युवाओं के लिए एक प्रेरणा थे. उनके भविष्य से धोखा करने लिए वह बड़ी सजा के हकदार हैं.’’ अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता समिति के सदस्यों में अधिकतर वरिष्ठ नागरिक, सम्मानित शिक्षक, या तो सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त या सेवानिवृत्त होने के नजदीक हैं. और ‘‘चौटाला ने उनके दोष साझा करने में भी भूमिका निभायी.’’
खचाखच भरे अदालत कक्ष में फैसला सुनाने से पहले न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए, यह रास्ते की समाप्ति है. मैं आपसे कह सकता हूं कि सभी अपीलें खारिज कर दी गयी हैं.’’ चौटाला पिता-पुत्र और तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार के अलावा मुख्यमंत्री के तत्कालीन ओएसडी एवं आइएएस अधिकारी विद्याधर तथा तत्कालीन विधायक एवं ओमप्रकाश चौटाला के राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बदशामी को भी अदालत ने 10-10 साल की सजा बरकरार रखी.
पीठ ने यह अपील खारिज कर दी कि वृद्धावस्था और बीमारी के आधार पर इनेलो प्रमुख के प्रति नरमी बरती जाए. अदालत ने कहा कि यह दलील दी जा सकती है कि चौटाला एक वृद्ध व्यक्ति हैं और उनका राजनीतिक जीवन समाप्ति की ओर हैं, इसलिए कुछ दया दिखाई जानी चाहिए. यही कारण है कि मैं दलील से सहमत नहीं हूं. यह व्यक्ति हरियाणा का मुख्यमंत्री था जिससे राज्य के युवाआंे को काफी आशाएं और आकांक्षाएं थी.
अदालत ने कहा, ‘‘युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने का काम उच्चतम प्रकार की सजा का हकदार है.’’ गौरतलब है कि हरियाणा में वर्ष 2000 में 3,206 शिक्षकों की अवैध रूप से भर्ती करने के मामले में चौटाला पिता-पुत्र और दो आइएस अधिकारी सहित 53 अन्य को 16 जनवरी, 2013 को निचली अदालत ने दोषी ठहराया था.
पीठ ने कहा, ‘‘शिक्षा एक औजार है, जिसका युवाओं को गढने के लिए सक्षम शिक्षकों द्वारा कुशलता से इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि उन्हें भविष्य में सार्थक नागरिक बनने में सक्षम बनाया जा सके और भारत सफलता के प्रतिमान का अग्रदूत बन सके. ’’ अदालत ने कहा कि यह मामला जाहिर करता है कि सक्षम शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया को कैसे दागदार किया गया और वह भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार से नहीं बच सका. पीठ ने कहा कि ऐसे घोटाले न सिर्फ लाखों बच्चों को खराब गुणवत्ता वाली शिक्षा दिलाने का सबब बनते हैं बल्कि सक्षम प्रतिभागी भी ऐसी चयन प्रक्रिया में सरकारी नौकरी से तथा सार्थक तरीके से देश की सेवा करने से वंचित रह जाते हैं.