नयी दिल्ली : प्रशांत भूषण ने आज संकेत दिया कि उन्हें और योगेंद्र यादव को आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति से अरविंद केजरीवाल के कहने पर हटाया गया और केजरीवाल पार्टी में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर अपना प्रभुत्व चाहते हैं जिसका उन्होंने विरोध किया था. जानेमाने वकील और आप के संस्थापक सदस्य भूषण ने कहा कि वह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे थे कि पार्टी अपनी स्थापना के सिद्धांतों पर कायम रहे और इसका प्रयास करते रहेंगे.
भूषण से आज जब पूछा गया कि क्या उन्हें और यादव को कल केजरीवाल के कहने पर पीएसी से हटाया गया तो उन्होंने हैडलाइंस टुडे चैनल से कहा, ‘मुझे लगता है कि इन हालात में किसी का भी इस नतीजे पर पहुंचना सही होगा.’ भूषण ने कहा कि केजरीवाल एक बडे नेता हैं और उनमें कई प्रशंसनीय बातें हैं. लेकिन उनमें कुछ गंभीर कमियां भी हैं और उनमें से एक है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया पर प्रभुत्व रखने की इच्छा.
भूषण ने कहा, ‘मैंने उनसे कहा था कि एक व्यापक और स्वतंत्र सोच वाली समिति होनी चाहिए जो उनके सामने खडी हो सके और कह सके कि आप गलत हैं.’ उनके मुताबिक इस पर केजरीवाल ने जवाब दिया कि पीएसी में ऐसे अनेक सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि केजरीवाल जिन लोगों से घिरे हैं, उन्होंने भी दोनों के खिलाफ उनके कान भरे हों.
भूषण ने कहा कि आप को संदिग्ध कंपनियों से मिले 50 लाख रुपये के चंदे के मामले में जांच करने की जरुरत है ताकि यह दोबारा नहीं हो. यह चिंता वह पहले भी उठा चुके हैं. पीएसी से यादव और भूषण को बाहर करने के तरीके पर सवाल उठाने वाले पीएसी के सदस्य मयंक गांधी के बयान के बारे में पूछे जाने पर भूषण ने कहा कि वह चाहते हैं कि पार्टी इन मुद्दों पर ध्यान दे. भूषण के मुताबिक उनके और केजरीवाल के बीच संवाद तंत्र टूट गया है.