मयंक गांधी ने फिर फोड़ा ब्लॉग बम, लिखा – मुझे दिखाया जा सकता है पार्टी से बाहर का रास्ता

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी की पीएसी( पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी) से प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को बाहर निकाले जाने के बाद भी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है. पार्टी दो खेमे में बट गयी है एक खेमा जो प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव के पीएसी से बाहर निकाले जाने का विरोध कर रहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2015 2:55 PM

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी की पीएसी( पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी) से प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को बाहर निकाले जाने के बाद भी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है. पार्टी दो खेमे में बट गयी है एक खेमा जो प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव के पीएसी से बाहर निकाले जाने का विरोध कर रहा है और दूसरा खेमा अरविंद इन दोनों नेताओं के बाहर निकाले जाने का समर्थन कर रहा है.

दोनों के बाहर होने के बाद आप में विवाद थमा नहीं बल्कि और बढ़ गया. पार्टी के आदेश के खिलाफ जाकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग का ब्योरा ब्लॉग के जरिए देने वाले मयंक गांधी और अरविंद केजरीवाल कैंप के माने जा रहे आशीष खेतान में ठन गयी है. मयंक गांधी ने दूसरा ब्लॉग लिखकर आशीष खेतान और उनके समर्थकों पर निशाना साधा है. इस ब्लॉग में ‘आप’ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मयंक ने लिखा है कि पहले ब्लॉग के बाद उनका अपमान किया जा रहा है. ‘दिल्ली में बैठे कुछ नेताओं के समूह ने, जो पार्टी के सारे फैसले करते हैं, मुझे बीबीएम (ब्लैकबेरी मेसेंजर) ग्रुप से निकाल दिया है.’
मयंक गांधी के साथ यह सब तब होने लगा जब 5 मार्च को अपने ब्लॉग में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पीएसी से निकाले जाने के लिए सीधे-सीधे केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया था. इस ब्लॉग के बाद मयंक गांधी पर हमले तेज हो गये. आशीष खेतान ने लिखा ‘कुछ लोग सुबह-शाम टीवी इंटरव्यू देंगे, कुछ दिल्ली और फिर देश के विकास के लिए दिन-रात काम करेंगे. कुछ लोग ब्लॉग लिखेंगे, कुछ इतिहास लिखेंगे. विडंबना यह है कि हजारों लोग, जिन्होंने अपने खून-पसीने से इस पार्टी को बनाया है, वे न लेख लिख पाते है और न ही टीवी इंटरव्यू की कला में माहिर हैं. ‘
अपने ताजा लिखे ब्लॉग में मयंक ने कहा, ‘मैं सचमुच मानता हूं कि अरविंद केजरीवाल देश के लिए उम्मीद हैं और मैंने सब कुछ उन्हीं से सीखा है. मेरा ब्लॉग विद्रोह या पार्टी नेतृत्व के खिलाफ नहीं है और न ही अपनी तरफ ध्यान खींचने के लिए है. 4 मार्च की मीटिंग के बाद मैंने पारदर्शिता के उच्च सिद्धांतों के तहत ब्लॉग लिखा था. मेरा ब्लॉग केजरीवाल या उनके नेतृत्व को चुनौती देने के लिए नहीं था. मैं इस तरह से काम नहीं करता. अगर आप मेरे पिछले ब्लॉग को सावधानी से पढ़ेंगे, तो पाएंगे कि यह मेरे लिए भी चुनौती थी कि कैसे आदेश का पालन न करूं.’
अपने ब्लॉग में मयंक ने यह आशंका जतायी है कि उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. गौरतलब है कि इसी तरह के विरोध के कारण योगेन्द्र और प्रशांत को बाहर रास्ता दिखा दिया गया. आप में बढ़ती गुटबाजी के कारण पार्टी में आपसी विवाद बढ़ता जा रहा है. पार्टी को बनाने वाले लोगों ने एक ऐसी पार्टी का सपना देखा था जहां अपनी बात रखने का अधिकार होगा लेकिन पार्टी के हित के लिए अपने विचार रखने वाले लोगों को एक-एक करके जिस तरह बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है वह पार्टी की विचारधारा और अस्तित्व पर सवाल खड़े करने लगा है.

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