नयी दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ में आज एक आर्टिकल के माध्यम से भाजपा से कहा गया है कि वह जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से पूछे कि वह भारतीय हैं या नहीं. लेख में कहा गया है कि सईद मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए आतंकवादियों और पाकिस्तान को धन्यवाद देते हैं. उनका यह आचरण उनके भारतीय होने पर सवाल उठाता है. ऐसी टिप्पणियां कर वे दोहरा मापदंड नहीं अपना सकते हैं.
संघ के मुखपत्र आर्गेनाइजर में छपे स्पार्किंग कंट्रोवर्सी शीर्षक आलेख में यह बात कही गयी है. आलेख पूर्व सीबीआई प्रमुख जोगिन्दर सिंह ने लिखा है. आलेख में उन 3.70 लाख हिन्दू एवं सिखों की दुर्दशा को लेकर भारत सरकार की प्रतिक्रिया की आलोचना की गयी है जिन्हें कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. उन्होंने सरकार से कहा है कि ऐसे लोगों के बारे में कुछ निर्णय करने के लिए इच्छा शक्ति दिखाने की जरूरत है.
सिंह ने कहा कि सईद ने शपथ लेने के कुछ ही घंटे बाद राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव होने देने के लिए पाकिस्तान, अलगाववादी एवं आतंकवादियों को धन्यवाद दिया है. उन्होंने आलेख में कहा, गठबंधन भागीदार, भाजपा को पीडीपी नेता से यह स्पष्ट करने के लिए साफ शब्दों में कहना चाहिए कि क्या वह भारतीय हैं या नहीं. क्या वह भारत के वफादार हैं या नहीं. वह दोनों हाथों में लड्डू रखने की दोहरी नीति नहीं अपना सकते.
कश्मीर घाटी से पलायन करने वाले हिन्दुओं और सिखों के अधिकारों का संरक्षण करने में अकर्मण्यता दिखाने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए सिंह ने कहा कि केन्द्र ने उनके लिए तो कानी अंगुली भी नहीं उठायी. उन्होंने 3.70 लाख हिन्दुओं एवं सिखों की चर्चा किये बिना कश्मीर को रियायत देना जारी रखने पर भी केन्द्र की आलोचना की.
इनामी हुर्रियत नेता को मुफ्ती ने जेल से छोड़ा
जम्मू-कश्मीर की मुफ्ती सरकार ने सहयोगी भाजपा के विरोध को दरकिनार कर चार साल से जेल में बंद हुर्रियत के अलगाववादी नेता मसरत आलम को रिहा कर दिया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 10 लाख रुपये के इनामी मसरत को 2010 में श्रीनगर के बाहरी इलाके से गिरफ्तार किया था. मसरत पर 2010 में एंटी-इंडिया कैंपेन चलाने का आरोप है. जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बुधवार को पुलिस प्रमुख के साथ हुई बैठक में राज्य के वैसे सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था जिन पर कोई भी आपराधिक आरोप दर्ज नहीं है. इस कड़ी में शनिवार को मसरत को रिहा कर दिया गया.
300 आतंकियों का छोड़ने की सूची तैयार
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने 200 से 300 के करीब उन आतंकी तत्वों की सूची तैयार की हुई है जिनके खिलाफ न तो गंभीर आरोप हैं और साथ ही उनमें से कई पिछले कई सालों से बिना आरोपों के बंदी हैं. राज्य सरकार इन सभी को ‘हीलिंग टच’ नीति के अंतर्गत ‘राजनीतिक बंदी’ बता कर रिहा करने की इच्छुक है ताकि लोगों को यह विश्वास हो जाए कि राज्य सरकार अपने चुनावी घोषणपत्र पर कायम है. माना जा रहा है कि आनेवाले दिनों में जेल में बंद दूसरे अलगाववादी नेताओं को भी रिहा करने का आदेश दिया जा सकता है. मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने शपथ लेने के बाद ही अलगाववादियों को राहत देने की वकालत की थी. उन्होंने इसके लिए अध्यादेश लाने तक की बात कही थी.
शाह ने संघ नेताओं से की चर्चा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अगले सप्ताह होने जा रही तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा से पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से भेंट की. बताया जाता है कि उन्होंने जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ भाजपा के गंठबंधन और वहां के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की विवादास्पद टिप्पणियों आदि के बारे में चर्चा की. नागपुर में संघ के मुख्यालय में शाह, भागवत और संघ में नंबर दो सुरेश भैया जोशी के बीच आठ घंटे से अधिक समय तक बैठक हुई.
भाजपा और संघ के नेताओं ने हालांकि इस बैठक को सामान्य बताया, सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान भाजपा प्रमुख ने जम्मू कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गंठबंधन के साझा न्यूनतम कार्यक्रम, अनुच्छेद 370 और अगले सप्ताह संसद में आने वाले विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर पार्टी की स्थिति के बारे में चर्चा की.
भाजपा-पीडीपी में ठनी
अलगाववादियों की रिहाई के फैसले पर जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी के बीच ठनती दिख रही है. भाजपा ने इस पर अपना विरोध जताया था, जिसे मुख्यमंत्री ने नजरअंदाज कर दिया. मुफ्ती के इस फैसले से भाजपा में जबरदस्त नाराजगी है, हालांकि पार्टी ने अभी तक इस पर खुल कर कुछ नहीं कहा है. सरकार के इस फैसले पर जम्मू कश्मीर के डीजीपी के राजेंद्र कुमार ने भी कहा, राज्य की जेलों से राजनीतिक कैदियों की रिहाई पर सरकारी निर्देशों का पालन किया जायेगा. उनसे पूछा गया था कि राजनीतिक कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया पुलिस स्तर पर शुरू हो चुकी है या नहीं. इस पर डीजीपी ने कहा, सरकार की तरफ से आनेवाले किसी भी निर्देश पर विचार किया जायेगा और उस पर काम किया जायेगा.
शिव सेना ने मुफ्ती के खिलाफ उगली आग
मोदी सरकार के फैसलों के खिलाफ शिव सेना की बयानबाजी जारी है. अब पार्टी ने जम्मू कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी सरकार के मुखिया मुफ्ती मोहम्मद सईद के खिलाफ आग उगली है. शिव सेना के मुखपत्र सामना में ‘गीदड़ की औलाद’ शीर्षक से छपे संपादकीय में बीजेपी को इशारों में नसीहत दी गयी है, तो मुफ्ती के पाकिस्तान प्रेम पर जम कर निशाना साधा गया है. जम्मू कश्मीर में मुफ्ती मोहम्मद सईद से हाथ मिला कर सरकार बनाने के पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले की आलोचना करते हुए लेख में कहा गया है कि गंठजोड़ की यह राजनीति बीजेपी को मुसीबत में फंसा सकती है.
लेख में कहा गया है, पूरे देश को संकटग्रस्त करने के लक्षण दिखायी दे रहे हैं. जो लोग मुफ्ती परिवार का लौकिक जानते हैं, वे सईद परिवार से चाय पर चर्चा करने और आगे बढ़ कर हाथ मिलाने के लिए तैयार नहीं होते. सीएम पद की शपथ लेने के बाद जिस तरह से मुफ्ती ने पाकिस्तान, आतंकियों और हुर्रियत को धन्यवाद दिया था, उसकी भी शिव सेना ने बखिया उधेड़ दी है. सामना में लिखा गया है, सईद के शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मौजूद थे.
सईद ने कहा था, कश्मीर में चुनाव शांतिपूर्वक पाकिस्तान और पाकिस्तानपरस्त आतंकी संगठनों की मेहरबानी से संपन्न हो सके. यह बयान देकर सईद ने साबित कर दिया कि वह खुद गीदड़ की औलाद हैं. सामना के इस लेख में मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण की बरसों पुरानी घटना पर भी सनसनीखेज आरोप लगा गया. लेख में लिखा गया, वीपी सिंह की सरकार में सईद होम मिनिस्टर थे. यूपी की मुजफ्फरनगर सीट से जीत कर संसद पहुंचे थे.
उनके गृह मंत्री रहते हुए आतंकियों ने उनकी बेटी रु बैया सईद का अपहरण कर लिया. रु बैया को छुड़ाने के लिए उन्हें दो आतंकियों को रिहा करना पड़ा. बाद में पता चला कि रु बैया के अपहरण का नाटक खुद सईद की सहमति से ही रचा गया था. सईद पर हमलावर हुए सामना में यहां तक लिखा गया है कि सईद की सहानुभूति हमेशा आतंकियों के साथ रही है. शिव सेना ने पीएम मोदी पर सीधे तौर पर निशाना नहीं साधा, बल्कि लिखा कि पीएम ने भरोसा दिलाया था कि वह कश्मीर के मामले में किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे और उनकी बात पर भरोसा करना चाहिए.