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एम्स में आरक्षण संबंधी फैसले को निरस्त करने के लिए इसी सत्र में संविधान संशोधन

नयी दिल्ली : सरकार ने आज कहा कि एम्स और सुपर स्पेशियालिटी संकाय में नियुक्ति एवं पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित उच्चतम न्यायालय के फैसले को निरस्त करने के लिए वह पुनरीक्षा याचिका दायर करेगी और जरुरत हुई तो संसद के इसी सत्र में संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगा. लोकसभा की आज की कार्यवाही शुरु […]

नयी दिल्ली : सरकार ने आज कहा कि एम्स और सुपर स्पेशियालिटी संकाय में नियुक्ति एवं पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित उच्चतम न्यायालय के फैसले को निरस्त करने के लिए वह पुनरीक्षा याचिका दायर करेगी और जरुरत हुई तो संसद के इसी सत्र में संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगा. लोकसभा की आज की कार्यवाही शुरु होते ही लगभग सभी दलों के नेताओं ने शीर्ष अदालत के इस फैसले के खिलाफ अपने विचार रखे और इसे निरस्त करने के लिए संविधान संशोधन की मांग की.

विधि एवं न्याय मंत्री कपिल सिब्बल ने आश्वासन दिया, ‘‘ सरकार सोमवार को शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षा याचिका दायर करेगी और अगर याचिका मंजूर नहीं हुई तो संसद के वर्तमान सत्र में संविधान संशोधन विधेयक लायेंगे.’’अधिकांश दलों के सदस्य हालांकि सिब्बल के बयान से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने सीधे संविधान संशोधन करने की मांग की.सदन में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि शीर्ष अदालत ने याचिका के दायरे से बाहर जानकर निर्णय दिया है. कल सर्वदलीय बैठक में इस पर चर्चा हुई थी. सरकार ने कहा था कि सोमवार को पुनरीक्षा याचिका दायर करेंगे और अगर राहत मिल गई तो ठीक नहीं तो रास्ता निकालेंगे. अगर कानून मंत्री सदन में इसी बात की घोषणा करते हैं तो सदस्य कुछ आश्वस्त होंगे.

जदयू के शरद यादव ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से पूरा सदन और सभी लोग बेचैन है क्योंकि इससे 85 प्रतिशत लोग प्रभावित हो रहे हैं. अदालत का फैसला संविधान प्रदत्त अधिकार के खिलाफ है और इस फैसले को निरस्त करने के लिए सरकार कदम उठाए.इस विषय पर हाथों में पोस्टर लिए जद यू सदस्य आसन के समक्ष आ गए और उन्होंने नारेबाजी की. सपा सदस्य भी आसन के समक्ष आकर इस फैसले का विरोध करने लगे. सपा के मुलायम सिंह यादव ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से बड़ी संख्या मे लोग प्रभावित हो रहे हैं. हम जानना चाहते हैं कि किस आधार पर यह फैसला किया गया. मामला सिर्फ एम्स का था लेकिन सभी संस्थाओं को इसके दायरे में ले लिया गया. उन्होंने कहा कि फैसले की पुनरीक्षा नहीं बल्कि इसे सीधे निरस्त करने की कार्रवाई की जाए.

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