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मसरत के बाद आशिक हुसैन फक्‍तू की रिहाई कर सकती है मुफ्ती सरकार

नयी दिल्‍ली : जम्‍मू-कश्‍मीर में मुफ्ती मुहम्‍मद सईद सरकार द्वारा कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसरत आलम को रिहाई के बाद से दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ. वहीं सरकार का कहना है जम्‍मू कश्‍मीर में सरकार बनने के बाद से हो रही गतिविधियों की जानकारी नहीं है. मौजूदा केंद्र सरकार को इस मसले पर और भी […]

नयी दिल्‍ली : जम्‍मू-कश्‍मीर में मुफ्ती मुहम्‍मद सईद सरकार द्वारा कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसरत आलम को रिहाई के बाद से दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ. वहीं सरकार का कहना है जम्‍मू कश्‍मीर में सरकार बनने के बाद से हो रही गतिविधियों की जानकारी नहीं है.
मौजूदा केंद्र सरकार को इस मसले पर और भी गतिरोध का सामना करना पड़ सकता है. सूत्रों के मुताबिक जम्‍मू कश्‍मीर की पीडीपी सरकार कश्‍मीर घाटी में पिछले 22 सालों से बंद एक और अलगाववादी आशिक हुसैन फक्‍तू की रिहाई करने वाला है.मसरत आलम ने 2010 में कश्‍मीर घाटी में भारत विरोधी विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था, जिसमें 112 लोगों की मौत हो गयी थी. राज्‍य में अपनी अपनी छवि सुधारने में लगी भाजपा इस विरोध प्रगदर्शन को रोकने में नाकामयाब रही थी.
फक्‍तू इस्लामवादी संगठन जमीयत-उल-मुजाहिदीन का पूर्व कमांडर रह चुका है. वह मानवाधिकार कार्यकर्ता एचएन वांचू की हत्‍या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. फक्‍तू का केस सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
मसरत आलम की रिहाई पर राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ ने भाजपा को सावधान रहते हुए पार्टी की राष्‍ट्रवादी विचारधारा के खिलाफ बताया है. पार्टी प्रमुख अमित शाह ने नागपुर में शनिवार को इस मुद्दे पर आसएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत अन्‍य संघ के नेताओं से मुलाकात की.
मसरत पर अबतक कुल 27 मामले दर्ज हैं. जिसमें हत्या, अपहरण जैसे संगीन मामले हैं. इन सभी मामलों में उसे जमानत मिल चुकी है. सरकार इस पूरे मामले पर जम्मू कश्मीर सरकार से पूरी रिपोर्ट मांगी रही है.

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