मिलना तो दूर तीन सालों से मुफ्ती से मेरी बात भी नहीं हुई है: राजनाथ सिंह
गाजियाबाद : गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर के अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई पर लगातार उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कि उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता राष्ट्रीय सुरक्षा है न कि जम्मू कश्मीर में सरकार बनाए रखना. राज्य की सरकार में भाजपा एक सहयोगी पार्टी है. उनका यह बयान प्रधानमंत्री […]
गाजियाबाद : गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर के अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई पर लगातार उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कि उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता राष्ट्रीय सुरक्षा है न कि जम्मू कश्मीर में सरकार बनाए रखना. राज्य की सरकार में भाजपा एक सहयोगी पार्टी है. उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिए उस बयान के एक दिन बाद आया जिसमें प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा था कि अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई स्वीकार्य नहीं है और सरकार देश की एकता के साथ किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं करेगी.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा ‘हमारी सरकार किसी भी कीमत पर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करेगी. हमारे लिए कोई भी सरकार चाहे वह गठबंधन की हो या बिना गठबंधन की, वह हमारी प्राथमिकता नहीं है. हमारी प्राथमिकता देश और उसकी सुरक्षा है. आपको हमारी मंशा को समझनी चाहिए.’ राजनाथ सिंह ने कहा ‘कल संसद में मैंने जो भी कहा था मैं अब भी उसी पर कायम हूं कि हमारे लिए सरकार प्राथमिकता नहीं है बल्कि हमारे लिए देश प्रथम है और वही सर्वोच्च है.’
केंद्रीय सुरक्षा बल सीआइएसएफ के 46वें स्थापना दिवस में शिरकत करने आए सिंह ने कहा ‘आपको यह तथ्य समझना चाहिए और मुझे लगता है कि इस बयान में सबकुछ समाहित है.’ गृहमंत्री इस बात पर कायम रहे कि वह उस बयान से संतुष्ट नहीं हैं कि राज्य सरकार ने उनके मंत्रालय को इस विषय पर पहले ही आधिकारिक विवरण भेजा था.
गृहमंत्री ने संवाददाताओं से कहा ‘मैं अब और कुछ नहीं कहूंगा. कल मैंने संसद में कहा था कि इस मुद्दे पर जम्मू कश्मीर सरकार जो भी पक्ष पेश कर रही है उससे मैं पूरी तरह से सहमत नहीं हूं. इस मुद्दे पर राज्य सरकार से मुझे कुछ सूचना-स्पष्टीकरण चाहिए और वहां से कुछ हासिल होने के बाद ही मैं कुछ कह पाउंगा.’
राजनाथ सिंह ने इस रिपोर्ट को भी खारिज किया कि मुफ्ती ने इस विषय पर उनसे बात की थी. उन्होंने कहा ‘मैंने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद से पिछले लगभग तीन सालों से बात नहीं की अथवा न तो उनके शपथ ग्रहण से पहले या न ही उसके बाद ही उनसे बात की.’
लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों के सदस्यों ने अलगाववादी नेता की रिहाई पर ‘आक्रोश’ जताते हुए इसे ‘राष्ट्र-विरोधी’ और देश की अखंडता के लिए खतरा बताया. इसके अलावा उन्होंने इस मुद्दे पर मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली सरकार से भाजपा को हटने की चुनौती भी दी.