नयी दिल्ली : मंगलवार को लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण बिल नये संसोधनों के साथ पारित कराने में सफल रही हालांकि वह इस मुद्दे पर अपनी ही सहयोगी शिवसेना को संतुष्ट नहीं कर पायी है. विदित हो कि शिवसेना ने मतदान के दौरान वॉक आउट कर दिया था. अब सरकार राज्यसभा में इस बिल को पास कराने को लेकर सांसत में फंसती नजर आ रही है. सरकार का राज्यसभा में बहुमत नहीं है और ऐसे हालात में सरकार का इस बिल को यहां पास कराना टेढी खीर साबित होगा. सरकार अन्य पार्टियों जैसे एआइडीएमके और बीजद तक पहुंचने की कोशिश में लगी हुई है, पर स्पष्ट तौर पर उसे बिल पास कराने लायक संख्या का जुगाड़ होता नहीं दिख रहा है.
मोदी सरकार इससे पहले माईंस बिल पर राज्यसभा में विपक्ष के सामने घुटने टेक चुकी है जहां उसे भारी दबाव की वजह से इस बिल को लोकसभा में पास कराने के पश्चात भी राज्यसभा की सलेक्ट कमेटी को भेजना पडा. यह सरकार की भारी विवशता को रेखांकित करता है. मोदी सरकार को हर हाल में उन छह अध्यादेश को बचाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा से पारित करवाना आवश्यक है जो राष्ट्रपति के द्वारा अध्यादेश के रुप में हस्ताक्षर किये जा चुके हैं.
इन छह अध्यादेश को बचाये रखने के लिए सरकार को हर हाल में भूमि अधिग्रहण बिल, खान और खनिज संशोधन विधेयक, बीमा कानून संशोधन विधेयक, कोल माईंस बिल 2015 , मोटर व्हीकल्स बिल और नागरिकता से संबंधित सभी बिलों को संसद के दोनों सदनों में पारित कराना आवश्यक है. इन बिलों के पारित नहीं होने की स्थिति में नरेंद्र मोदी सरकार को राजनैतिक तौर पर भारी फजीहत झेलनी पड़ेगी. विदित हो कि राज्यसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध करने का निर्णय किया है तथा लगभग पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद है.