नयी दिल्ली : राज्यसभा में आज जदयू नेता एवं पूर्व राजनयिक पवन कुमार वर्मा ने भारत-पाक वार्ता मामले में सरकार पर तदर्थ एवं आवेगपूर्ण नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को इस मामले में अपनी सोच स्पष्ट करनी चाहिए. शून्यकाल में वर्मा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सरकार ने 2013 में वार्ता को सीमा पर पडोसी देश द्वारा बार बार किये जाने वाले संघर्षविराम उल्लंघनों के कारण रोक दिया था.
उन्होंने कहा कि अगस्त 2014 में यह वार्ता फिर बहाल करने का निर्णय किया गया. लेकिन पाकिस्तान के उच्चायुक्त द्वारा हुर्रियत नेताओं से मुलाकात करने के बाद दोनों देशों के बीच वार्ता को रद्द कर दिया गया. उन्होंने कहा कि अब हमारे विदेश सचिव ने दक्षेस यात्रा के नाम पर पाकिस्तान से बातचीत की. उन्होंने कहा कि इस बातचीत का कोई ब्यौरा देश के सामने नहीं आया है. उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि पाकिस्तान के साथ क्या बातचीत हुई.
वर्मा ने कहा कि विदेश सचिव की यह बातचीत ऐसे समय हुई जब पाकिस्तान के भारत स्थित उच्चायुक्त ने हुर्रियत के कट्टरपंथी धडे के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सरकार को पाकिस्तान से वार्ता के मामले में समग्रता के आधार पर नीति बनानी चाहिए तथा उसकी नीति तदर्थ या आवेगपूर्ण नहीं होनी चाहिए.
शून्यकाल में ही कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने आस्ट्रेलिया में प्रभा अरुण नामक एक भारतीय महिला की हत्या सहित विभिन्न देशों में भारतीयों पर हो रहे हमलों का मामला उठाते हुए सरकार से इन मामलों में कडे कदम उठाने की मांग की. हालांकि उपसभापति पी जे कुरियन ने तिवारी से कहा कि वह यह मुद्दा उठाने के लिए पहले सभापति को नोटिस दे.