विपक्ष की आशंकाओं को खारिज कर सुरेश प्रभु ने कहा, रेलवे का नहीं होगा निजीकरण

नयी दिल्ली : रेलवे के विस्तार एवं लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बडे पैमाने पर धन जुटाने के सरकार के उपायों पर विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज बताया कि इस दिशा में एलआईसी, विश्व बैंक, एडीबी, पीएसयू आदि से ऋण के संबंध में बातचीत अग्रिम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2015 9:47 PM

नयी दिल्ली : रेलवे के विस्तार एवं लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बडे पैमाने पर धन जुटाने के सरकार के उपायों पर विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज बताया कि इस दिशा में एलआईसी, विश्व बैंक, एडीबी, पीएसयू आदि से ऋण के संबंध में बातचीत अग्रिम चरण में है.

प्रभु ने रेलवे के निजीकरण की आशंका को भी निर्मूल बताया और कहा कि रेलवे लोगों की सम्पति है और इसका निजीकरण नहीं किया जायेगा और स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी में स्पष्ट रुप से इस बात की घोषणा कर चुके हैं.रेल मंत्री ने बडे पैमाने पर रिण लेकर रेलवे के विस्तार की आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि यात्री किराये और माल माडे में वृद्धि करने तथा बजटीय आवंटन के पारंपरिक तरीके से हम लंबित परियोजनाओं को पूरा नहीं कर पायेंगे.

साथ ही उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि क्या इसके लिए यात्री और माल किराया बढाये ? सदन में 2015 16 के रेल बजट पर दो दिन चली चर्चा का जवाब देते हुए प्रभु ने कहा कि रेलवे में बडे पैमाने पर निवेश के बिना इसे व्यवहार्य नहीं बनाया जा सकता क्योंकि रेलवे को क्षमता विस्तार, आधुनिकीकरण, रालिंग स्टाक, नई पटरियों आदि की जरुरत है, इस सबके लिए पैसा चाहिए जो केवल रेलवे की कमाई या बजटीय सहायता से संभव नहीं है.

सार्वजनिक निजी साङोदारी पर उठाये गए सवालों का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि ममता बनर्जी, पवन कुमार बंसल, मल्लिकार्जुन खडगे समेत कई पूर्व रेल मंत्रियों ने इस विकल्प का उपयोग किया जो जरुरी है और वह केवल उस परंपरा को आगे बढा रहे हैं.इसके साथ ही सदन ने रेलवे की वर्ष 2015.16 के लिए लेखानुदान की मांगों और 2014.15 के अनुदान की अनुपूरक मांगों तथा इससे जुडे विनियोग विधेयकों को ध्वनिमत से अपनी मंजूरी दे दी.

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