नक्सल इलाकों में ‘‘रैम्बो ’’ स्टाइल अभियान नहीं : सीआरपीएफ
नयी दिल्ली : केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रमुख ने कहा है कि सीआरपीएफ नक्सल प्रभावित इलाकों में कोई ‘‘रैम्बो शैली का अभियान’’ नहीं चलाएगी. हालांकि इन इलाकों में मानक संचालन प्रक्रियाओं में व्यापक फेरबदल किया जा रहा है. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों में राज्य पुलिस बलों के अलावा एक लाख से अधिक केंद्रीय बल […]
नयी दिल्ली : केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रमुख ने कहा है कि सीआरपीएफ नक्सल प्रभावित इलाकों में कोई ‘‘रैम्बो शैली का अभियान’’ नहीं चलाएगी. हालांकि इन इलाकों में मानक संचालन प्रक्रियाओं में व्यापक फेरबदल किया जा रहा है. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों में राज्य पुलिस बलों के अलावा एक लाख से अधिक केंद्रीय बल अब तकनीकी उपकरणों से बेहतर खुफिया आंकडे और बेहतर जानकारी हासिल कर सकेंगे. छत्तीसगढ में नक्सलियों के गढ के भीतर एनटीआरओ के मानवरहित यानों (यूएवी) के बेस के सक्रिय होने के बाद यह संभव हो सकेगा.
सीआरपीएफ के महानिदेशक प्रकाश मिश्र ने बताया, ‘‘ हमें रैम्बो स्टाइल के अभियान की जरुरत नहीं है हम ये नहीं चाहते. जब हम नक्सल प्रभावित इलाकों में अपने लडाकों को किसी काम को अंजाम देने की जिम्मेदारी सौंपते हैं तो वे इसे पूरी गंभीरता के साथ तत्काल करते हैं और इसलिए उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है.’’ कुछ ही महीनों पहले नक्सल विरोधी अभियानों की कमान संभालने के लिए आए ओडिशा के पूर्व डीजीपी ने कहा कि रैम्बो स्टाइल के भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात करने के बजाय बल के अभियान अब अधिक केंद्रित और खुफिया सूचना आधारित होंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा मानना है कि विशेष खुफिया जानकारी के साथ गुणवत्तापूर्ण अभियान हमारा मकसद होना चाहिए। मैं पहले ही कह चुका हूं कि सभी ऐसे बडे अभियानों में जहां बडे पैमाने पर बलों को तैनात करने की जरुरत है उसकी मंजूरी मुख्यालय से लेने की जरुरत होगी.’’ उन्होंने इसके साथ ही कहा कि इस संबंध में एसओपी को दुरुस्त कर इसमें व्यापक बदलाव किया जा रहा है. सीआरपीएफ के प्रमुख ने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में तीन लाख कर्मियों के बल की कमान संभालने के बाद से उन्होंने इसे अपनी प्राथमिकता में शामिल कर लिया है कि नक्सल रोधी अभियानों में जवानों की कम से कम शहादत या शून्य शहादत को सुनिश्चित किया जाए.
मिश्र ने पूर्व में कहा था कि ऐसे अभियानों में जहां, जमीनी स्तर पर अभियान क्षेत्र में बलों की भारी मौजूदगी होती है वहां उनके लिए खतरा अधिक पैदा हो जाता है और उन्हें निशाना बनाया जाना भी आसान हो जाता है. पिछले वर्ष ऐसे अभियानों में करीब 100 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे और इनमें से अधिकतर आईईडी विस्फोटों या नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमलों का शिकार हुए थे. राज्यों के नक्सल प्रभावित लगभग सभी क्षेत्रों का दौरा करने वाले डीजी ने बताया कि छत्तीसगढ के भिलाई में स्थित नए यूएवी जमीनी स्तर पर सैनिकों को बेहतर खुफिया और तकनीकी मदद मुहैया कराने की दिशा में एक कदम है. अभी तक यूएपी आंध्र प्रदेश में स्थित थे और राष्ट्रीय तकनीकी शोध संगठन (एनटीआरओ) के निर्देशों के तहत उडान भरते थे.
मिश्र ने बताया कि सभी राज्यों में नक्सल विरोधी अभियानों को नए लक्ष्य को ध्यान में रखकर संचालित किया जा रहा है.