दिल्ली गैंगरेप:किशोर से जुड़े मामले पर फैसला 31 अगस्त तक टला
नयी दिल्ली : राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर की रात हुए सामूहिक दुष्कर्म में शामिल किशोर के मामले की सुनवाई कर रहे किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने आज अपना फैसला 31 अगस्त तक टाल दिया है. प्रधान मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल की अध्यक्षता वाले जेजेबी ने कानून में ‘किशोर’ शब्द की ताजा व्याख्या के लिए दायर […]
नयी दिल्ली : राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर की रात हुए सामूहिक दुष्कर्म में शामिल किशोर के मामले की सुनवाई कर रहे किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने आज अपना फैसला 31 अगस्त तक टाल दिया है.
प्रधान मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल की अध्यक्षता वाले जेजेबी ने कानून में ‘किशोर’ शब्द की ताजा व्याख्या के लिए दायर जनहित याचिका की विचारणीयता का मसला उच्चतम न्यायालय में लंबित होने के आधार पर अपना फैसला टाल दिया. आज की कार्रवाही के बाद पुलिस ने जेजेबी के बाहर मौजूद संवाददाताओं को बताया कि उच्चतम न्यायालय ने जनहित याचिका की विचारणीयता पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है, इसलिए इस मामले का फैसला भी 31 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है.
इस वर्ष 11 जुलाई के बाद यह चौथा मौका है, जब बोर्ड ने अपना फैसला की घोषणा टाल दी है. इससे पहले 14 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने कानून में ‘किशोर’ शब्द की ताजा व्याख्या को लेकर पूर्व सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा दायर जनहित याचिका की विचारणीयता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम के एक प्रावधान का जिक्र करते हुए स्वामी ने कहा कि इस मामले में यह बाल अधिकारों के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीआरसी) और बीजिंग नियमों का उल्लंघन है और ऐसे में इसकी दोबारा व्याख्या की जरुरत है. स्वामी ने कहा कि किसी मामले में दोष तय करते समय नाबालिग आरोपियों की उम्र नहीं, बल्कि उनकी ‘मानसिक एवं बौद्धिक परिपक्वता’ को ध्यान में रखना चाहिए.
उन्होंने 16 दिसंबर के सामूहिक दुष्कर्म मामले में किशोर आरोपी की कथित भूमिका का भी जिक्र किया. दिल्ली में 16 दिसंबर की रात एक चलती बस के भीतर 23 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने के छह आरोपियों में यह किशोर भी शामिल है. इस मामले की पीड़िता का 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में निधन हो गया था.