सरकार बजट सत्र के समय बढाने पर कर रही है विचार

नयी दिल्ली : सरकार आवश्यकता पडने पर बजट सत्र के प्रथमार्ध का समय दो दिन बढाने पर विचार कर रही है और ऐसा होने पर कोयला, खान एवं खनन जैसे महत्वपूर्ण सुधार विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद की बैठक 23 और 24 मार्च को भी हो सकती है. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 18, 2015 10:58 AM

नयी दिल्ली : सरकार आवश्यकता पडने पर बजट सत्र के प्रथमार्ध का समय दो दिन बढाने पर विचार कर रही है और ऐसा होने पर कोयला, खान एवं खनन जैसे महत्वपूर्ण सुधार विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद की बैठक 23 और 24 मार्च को भी हो सकती है. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, संसद सत्र का प्रथमार्ध 20 मार्च को खत्म होना है.

संसदीय मामलों पर कैबिनेट कमिटि की आज हुई बैठक में जरुरत पडने पर दो महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद की बैठक सोमवार और मंगलवार को बुलाने का निर्णय किया गया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार को राज्यसभा में इन दोनों विधेयकों के पारित होने की उम्मीद है. अगर संबंधित प्रवर समिति की सिफारिशों को संशोधन के रुप में स्वीकार कर लेती है तब संशोधनों को मंजूरी के लिए वापस लोकसभा में भेजा जायेगा.

ऐसा करने से वे अध्यादेश, जो पांच अप्रैल को खत्म हो रहे हैं, उनको सरकार फिर से लाकर लागू करवा सकती है, जो छुट्टी देने की स्थिति में संभव नहीं है.नियम के मुताबिक संसद का सत्र चलते हुए सरकार कोई अध्यादेश नहीं ला सकती.

सूत्रों ने बताया कि सत्र का सत्रवसान करने का मुद्दा बैठक में नहीं आया. सरकार के भीतर ऐसा मत है कि लोकसभा में पारित भूमि, कोयला तथा खान एवं खनन विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो पाते हैं तब फिर से उनके संबंध में अध्यादेश जारी करने के लिए सत्रवसान किया जा सकता है. प्रावधानों के मुताबिक, 23 फरवरी को संसद सत्र प्रारंभ होने के 42 दिन में अंदर अगर संसद अध्यादेश को विधेयक के रुप में पारित नहीं करती है तब पांच अप्रैल को उसकी मियाद समाप्त हो जायेगी.

करीब एक महीने के अवकाश के बाद बजट सत्र का दूसरा हिस्सा 20 अप्रैल से शुरु होगा। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, संसद का यह सत्र आठ माई को समाप्त होना है. सूत्रों ने इस बात को स्वीकार किया कि लोकसभा से पारित भूमि अधिग्रहण विधेयक के उच्च सदन में कम से कम सत्र के प्रथमार्ध में पारित होने की काफी कम संभावना है.

उन्होंने कहा कि आध्यादेश को पुन: जारी करने के लिए सत्र के अवकाश के समय उसके सत्रवसान करने की अगर आवश्यकता होती है तो उसके बारे में बाद में निर्णय किया जायेगा.

Next Article

Exit mobile version