मुंबई : महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल शिवसेना ने विधानपरिषद के सभापति शिवाजीराव देशमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने और राज्य के लोगों के साथ ‘‘विश्वासघात’’ करने पर भाजपा की आलोचना की. शिवसेना ने राकांपा के संबंध में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने एनसीपी को ‘‘नेचुरली करप्ट पार्टी (स्वाभाविक रुप से भ्रष्ट पार्टी) बताया था ‘‘जिसने महाराष्ट्र के लोगों को लूटा है.’’
शिवसेना ने कहा कि भाजपा ने राकांपा को समर्थन देकर यह दिखा दिया है कि राजनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता. शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘‘कुछ लोगों ने भारत के राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी को समर्थन देने के मामले में हमपर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगाया था। एक भ्रष्ट पार्टी के साथ हाथ मिलाने के कारण अब ऐसे लोगों के हाथ गंदे नजर आ रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें यह कहना पड रहा है. इस सब से केवल लोगों के साथ विश्वासघात हुआ है.’’
शिवसेना ने कहा, ‘‘ यही नरेंद्र मोदी थे जो चुनाव के बाद बारामती गए थे और कहा था कि राकांपा प्रमुख शरद पवार मेरे मार्गदर्शक हैं. शिवसेना के रामदास कदम ने परिषद में कहा कि भाजपा ने शिवसेना के साथ धोखा किया है. ’’उसने कहा कि कांग्रेस और राकांपा के बीच मतभेद नए नहीं है लेकिन भाजपा को इन दोनों दलों के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. शिवसेना ने कहा, ‘‘शिवाजीराव देशमुख ने परिषद में यह भी कहा था कि राकांपा और कांग्रेस के बीच झगडे होते रहते हैं लेकिन भाजपा को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था.’’
अविश्वास प्रस्ताव पर गत सोमवार को जब मतदान कराया गया था तब प्रस्ताव के समर्थन में कुल 45 सदस्यों ने मत दिया था जबकि 22 मत प्रस्ताव के विरोध में पडे थे। राकांपा के 27 और भाजपा के 12 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मत दिया था जबकि शिवसेना मतदान से दूर रही थी. इसके अलावा शेतकरी कामगार पक्ष के एक सदस्य, राष्ट्रीय समाज पक्ष के एक सदस्य, शिव संग्राम के एक सदस्य और तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मत दिया था.