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आखिर IAS डीके रवि क्यों कहलाए ”एजेंट ऑफ चेंज” ?

नयी दिल्ली/बेंगलुरु :आइएएस डीके रवि की रहस्यमयी मौत के बाद आज कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने रवि के परिवार से मुलाकात की. उन्होंने उनके परिवार से मिलकर रवि की मौत पर शोक संवेदना व्यक्त की. साथ ही उन्होंने रहस्यमयी मौत की जांच का भरोसा भी दिया. जेडीएस नेता एचडी कुमारास्वामी ने भी रवि के शोक […]

नयी दिल्ली/बेंगलुरु :आइएएस डीके रवि की रहस्यमयी मौत के बाद आज कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने रवि के परिवार से मुलाकात की. उन्होंने उनके परिवार से मिलकर रवि की मौत पर शोक संवेदना व्यक्त की. साथ ही उन्होंने रहस्यमयी मौत की जांच का भरोसा भी दिया. जेडीएस नेता एचडी कुमारास्वामी ने भी रवि के शोक संतप्त परिवारों से मुलाकात की.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब किसी कर्मठ, ईमानदार अधिकारी की रहस्यमय परिस्थिति में मौत हुई है. इसकी लंबी कडी है. पर, रवि की मौत से पूरा कर्नाटक तो आहत है, देश के भी लोग दुखी हैं. आखिर डीके रवि में ऐसा क्या खास था कि कल के बंद के बाद भी कोलार की जनता उनके मौत से इतनी आहत है कि उनका गुस्सा थम नहीं रहा. उनकी मौत की सीबीआइ जांच करवाने की मांग को लेकर आज कर्नाटक भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री सदानंद गौडा राज्य के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मिले.
कृषि ग्रेजुएट और 2009 बैच के अधिकारी
डीके रवि ने बेंगलुरु के कृषि विश्वाविद्यालय से स्नातक किया था. उन्होंने 2009 में आइएएस की परीक्षा पास की थी और वे अपनी ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा के लिए पहचाने जाते थे. वे कोलार सहित कुछ जिलों के कलेक्टर रहे थे और बालू माफियाओं द्वारा उन्हें लगातार धमकियां दी जाती रही थी, जिनके खिलाफ उन्होंने अभियान चला रखा था. उन्होंने रियल स्टेट, सोना कारोबार व टैक्स में हेरफेर करने वालों के खिलाफ भी अभियान चला रखा था और छापेमारी भी की थी.
मौत का रहस्य
रवि सोमवार को 11 बजे अपने आवास पर रूटीन बैठक कर लौटे थे. उन्होंने अपने सहयोगियों को कहा था कि वे जल्द ही फिर कार्यालय वापस आ रहे हैं. इसलिए उनका खाना भी कार्यालय ही पहुंचा दिया गया था. पर, घर के पास उनका ड्राइवर लंबे समय तक इंतजार करता रहा, लेकिन वे बाहर नहीं आये. जब उनकी पत्नी वापस घर आयीं, तो उन्होंने अपने पति को मृत पाया. उस महिला का यह दुर्भाग्य ही था उनके पति उनकी ही नारंगी रंग की साडी में पंखे से लटके थे. जहां यह घटना घटी वह बेंगलुरु का पॉश इलाका है. पुलिस ने भी उनकी मौत को प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला माना है. लेकिन, सवाल यह है कि एक मजबूत इच्छाशक्ति वाला शख्स जो जहां कहीं भी रहा हूं बदलाव लाता रहा हो वह क्यों आत्महत्या कर लेगा. इसके पीछे कौन लोग हैं? इसकी तहकीकात तो होनी ही चाहिए.
बदलाव का एजेंट बनने का संदेश
डीके रवि ने इसी साल के नववर्ष के अवसर पर अपने फेसबुक एकाउंट पर साथियों को बधाई संदेश दिया. उन्होंने सामूहिक रूप से मित्रों को संबोधित करते हुए लिखा था कि प्रिय दोस्तो मैं अबतक यह सोच रहा हूं कि कैसे आपलोगों को अलग अलग ढंग से विश करूं. मैं इस बारे में लगातार सोच रहा हूं, पर अपनी राय नहीं बना पा रहा हूं..लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि आप मानवता के लिए हर पल बदलाव के एजेंट या वाहक बनें. रवि मूल रूप से कर्नाटक के तुमाकुरू जिले के रहने वाले थे. आज पूरा देश नम आंखों से बदलाव के इस एजेंट को विदाई दे रहा है. अलविदा, डीके रवि!

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