नयी दिल्ली : खनिजों का आवंटन नीलामी के जरिये करने के मकसद से लाये गये दो सुधार विधेयकों को राज्यसभा में आज मंजूरी मिलने की संभावना है, क्योंकि इन विधेयकों पर दो प्रवर समितियों ने बदलाव नहीं किये हैं. हालांकि, समिति के कुछ सदस्यों ने इसमें अपनी असहमति जतायी है.
राज्यसभा में बुधवार को पेश की गयी कोयला खान (विशेष उपबंध) विधेयक 2015 के बारे में भाजपा के अनिल माधव दवे की अध्यक्षता वाली 19 सदस्यीय प्रवर समिति ने बिना किसी बदलाव के इस प्रस्तावित कानून को पारित करने की सिफारिश की है. इसी प्रकार राज्यसभा में पेश की गयी खान व खनन संशोधन विधेयक 2015 संबंधी प्रवर समिति की रिपोर्ट में भी प्रस्तावित कानून के किसी उपबंध में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. दोनों ही विधेयकों को लोकसभा की मंजूरी मिल गयी है. इसे अभी राज्यसभा में पारित नहीं किया जा सका है.
असहमति के बीच सहमति के संकेत
दोनों विधेयकों पर कांग्रेस, माकपा एवं द्रमुक के सदस्यों ने ही अपनी असहमति टिप्पणियां लगायी हैं जिससे संकेत मिलता है कि तृणमूल कांग्रेस, सपा, बीजद, अन्नाद्रमुक व बसपा सहित अन्य विपक्षी दल इन विधेयकों का उस प्रकार कड़ा विरोध नहीं करें जैसा वे भूमि विधेयक के मामले में कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि संसद के मौजूदा सत्र के 20 मार्च को पहला चरण पूरा होने तक कोयला तथा खान एवं खनिज विधेयकों को संसद की मंजूरी मिलने की संभावना है.
सत्र दो दिन बढ़ेगा!
इस बीच कैबिनेट की संसदीय मामलों की समिति ने बुधवार को निर्णय किया कि संसद की बैठक जरूरत पड़ने पर 23 व 24 मार्च को भी हो सकती है, क्योंकि यदि राज्यसभा में संशोधन हुए तो इन विधेयकों को फिर लोकसभा में लाना पड़ेगा. दोनों विधेयक इस संबंध में जारी किये गये अध्यादेशों का स्थान लेंगे. अध्यादेश पांच अप्रैल को निष्प्रभावी हो जायेंगे.
पांच असहमति की टिप्पणियां : कोयला विधेयक के बारे में प्रवर समिति की रिपोर्ट में पांच असहमति टिप्पणियां हैं जिनमें कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, पी भट्टाचार्य एवं राजीव शुक्ला, द्रमुक के तिरुचि शिवा व माकपा के के एन बालगोपाल की टिप्पणियां शामिल हैं.
जल्दबाजी में किया गया तैयार : कांग्रेस
राज्यसभा में जब इन दोनों प्रवर समिति की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा गया उस समय कांग्रेस ने इन सिफारिशों को जल्दबाजी में तैयार किये जाने पर विरोध जताया. सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इन दोनों विधेयकों पर प्रवर समितियों की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखे जाने के फौरन बाद ही अपना विरोध प्रकट किया. आरोप लगाया कि सरकार इन विधेयकों के मामले में जल्दबाजी दिखा रही है. पूरी प्रक्रिया को अर्थहीन बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी चाहती थी कि प्रवर समितियों की सिफारिशों को मौजूदा बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले सप्ताह में पेश करने की इजाजत दी जाये. इस पर उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि प्रवर समिति की एक निश्चित प्रक्रिया होती है. किसी मुद्दे पर आपत्ति है तो वह अपनी बात प्रवर समिति की रिपोर्ट में असहमति टिप्पणी के जरिये कह सकते हैं.