पाकिस्तान आतंकवाद को मदद करना बंद कर दे तो सुधर जाएंगे हालातः राजनाथ

जयपुर: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज पाकिस्तान से कहा कि उसे छद्म युद्ध के औजार के तौर पर आतंकवाद का इस्तेमाल करने की रणनीति पर गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए और उसके ऐसा करने से दक्षिण एशिया में सुरक्षा परिदृश्य में महत्वपूर्ण सुधार होगा. सिंह ने यहां अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक सम्मेलन का उद्घाटन करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2015 8:31 PM

जयपुर: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज पाकिस्तान से कहा कि उसे छद्म युद्ध के औजार के तौर पर आतंकवाद का इस्तेमाल करने की रणनीति पर गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए और उसके ऐसा करने से दक्षिण एशिया में सुरक्षा परिदृश्य में महत्वपूर्ण सुधार होगा.

सिंह ने यहां अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कहा कि पाकिस्तान को समझना चाहिए कि आतंकवादी अच्छे या बुरे नहीं होते. उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान और उसके सहयोगी इतनी भारी कीमत चुकाने के बाद भी यह नहीं समझ पा रहे कि अच्छे आतंकवादी या बुरे आतंकवादी नहीं होते.’’ सिंह ने कहा कि भारत में अधिकतर आतंकवादी गतिविधियों का स्नेत सीमापार होता है.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को ‘‘छद्म युद्ध के औजार के तौर पर आतंकवाद का इस्तेमाल करने की अपनी रणनीति पर गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए, चूंकि यह उनके खुद के राष्ट्रीय हित में होगा.’’ सिंह ने कहा, ‘‘आतंकवादियों को अच्छी और बुरी श्रेणियों में बांटना बुरी तरह विफल रहा है. अगर आईएसआई और पाकिस्तानी सेना कुछ आतंकवादी संगठनों को अपना समर्थन बंद कर देते हैं तो मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि दक्षिण एशिया में सुरक्षा परिदृश्य महत्वपूर्ण तरीके से सुधरेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत पिछले कई दशक से सीमापार आतंकवाद का शिकार रहा है.

लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को सीमापार से मदद मिलती है और ये भारत की सरजमीं पर अनेक आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देते हैं. दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इस तरह की छद्म चीजों के इस्तेमाल के अनेक उदाहरण मिलते हैं.’’ मौजूदा दुनिया में आतंकवाद के बदलते चेहरे के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने उपलब्ध प्रौद्योगिकी और साइबरक्षेत्र का इस्तेमाल विनाशकारी तरीके से होने की बढती आशंका पर चिंता जताई.

राजनाथ सिंह ने कहा कि आज की डिजिटल दुनिया में आतंकवाद की समस्या बहुत बढ जाती है.उन्होंने कहा कि अकेला आतंकवादी ऑनलाइन जाकर सीख सकता है कि घर से बिना निकले किस तरह हमले को अंजाम दिया जा सकता है.उन्होंने कहा कि साइबर अपराध के सभी संभावित स्थानों का पता लगाने के लिए और आतंकवाद की दुनिया से इसके तार जुडे होने का पता लगाने के लिए हाल ही में एक विशेषज्ञ समूह गठित किया गया है.

राजनाथ ने कहा कि एक समिति की जरुरत महसूस की गयी क्योंकि कई आतंकवादी संगठन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करने में माहिर हैं. वे बडे स्तर पर लोगों तक पहुंचने के लिए आधुनिक तकनीकों का व्यापक इस्तेमाल करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘उनका ऑनलाइन दुष्प्रचार युवाओं के बीच कट्टरता पैदा कर रहा है. यह गंभीर चिंता की बात है कि वे मासूमों के दिमाग में जहर भर रहे हैं और वे उन्हें नृशंस तरीके से असहिष्णु होने और दूसरों के साथ हिंसक होने के लिए उकसा रहे हैं.’’ सिंह ने आतंकवाद की समस्या का मुकाबला करने में भारत की लडाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग की. उन्होंने कहा कि आतंकवाद की कोई सरहद नहीं होती और यह देश की संप्रभुता का सम्मान नहीं करता.

उन्होंने कहा कि आतंकवादी आसानी से एक देश से दूसरे देश में चले जाते हैं और इसलिए अपने रणनीतिक साधन के तौर पर आतंकवादियों का इस्तेमाल करने वाले देशों पर दबाव बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरुरत है.राजनाथ ने आतंकवाद पर वैश्विक जागरुकता की वकालत करते हुए कहा कि सभी देशों को इस क्षेत्र में घटनाक्रमों के बारे में सचेत रहना चाहिए जो कभी ना कभी, किसी ना किसी तरीके से उन्हें प्रभावित कर सकते हैं.

तीन दिवसीय आतंकवाद निरोधक सम्मेलन में अनेक मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाएगा जिनमें ‘अवैध विस्थापन और सीमा सुरक्षा’, ‘साइबर क्षेत्र’, ‘सोशल मीडिया और आतंकवाद’ आदि के सत्र होंगे.इंडिया फाउंडेशन ने जयपुर के सरदार पटेल पुलिस सुरक्षा और आपराधिक न्याय विश्वविद्यालय की मदद से इसका आयोजन किया है.

समारोह में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लै, पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) वी पी मलिक, बीएसएफ के पूर्व प्रमुख प्रकाश सिंह और अन्य लोगों ने भाग लिया.

Next Article

Exit mobile version