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मोदी ने की “मन की बात”,कहा, किसानों को गरीब रखने के षड्यंत्र के तहत फैलाया जा रहा है भ्रम

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में आज किसानों को संबोधित किया. उन्होंने किसानों से बात करते वक्त कई मुद्दों पर चर्चा की. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने किसानों को भूमि अधिग्रहण पर विशेष चर्चा की. मोदी ने नये नियमों की चर्चा विस्तार से की. मोदी ने माना कि किसानों […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में आज किसानों को संबोधित किया. उन्होंने किसानों से बात करते वक्त कई मुद्दों पर चर्चा की. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने किसानों को भूमि अधिग्रहण पर विशेष चर्चा की. मोदी ने नये नियमों की चर्चा विस्तार से की. मोदी ने माना कि किसानों की अबतक अपेक्षा हुआ है. आइये जानते हैं कि उन्होंने क्या क्या कहा. मेरे प्यारे किसान भाइयो और बहनो, आप सबको नमस्कार . ये मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे आपसे बात करने का अवसर मिला है

जब मैंने किसानों के साथ बात करने के लिए सोचा, तो मुझे कल्पना नहीं थी की इतने सारे सवाल पूछेंगे, ये देखकर के मैं हैरान हो गया. आपने मुझे चौंका दिया है, लेकिन मैं इसको मेरे लिए एक प्रशिक्षण का अवसर मानता हूँ. मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, कि आपने जितने सवाल पूछे हैं, मैं उन सबके विषय में, पूरी सरकार में जागरूकता, संवेदना लाऊँगा.

कई विषयो और समस्याओं की चर्चा की गयी हैं . हमें राज करने का अधिकार तब है जब हम इन छोटी छोटी बातों को भी ध्यान दें. ये सब पढ़ कर के तो मुझे कभी कभी शर्मिन्दगी महसूस होती थी, कि हम लोगों ने क्या किया है ! मेरे पास जवाब नहीं है. मैं जरूर बदलाव के लिए, प्रामाणिकता से प्रयास करूंगा, और उसके सभी पहलुओं पर सरकार को जगाऊँगा,ये मैं विश्वास दिलाता हूँ. इस बार बेमौसमी बरसात हो गयी, महाराष्ट्र में ओले गिरे. सभी राज्यों में, ये मुसीबत आयी और हर कोने में किसान परेशान हो गया.

राज्य सरकारों को मैंने कहा है कि केंद्र- राज्य मिल करके, इन मुसीबत में फंसे हुए सभी किसानो को जितनी ज्यादा मदद कर सकते हैं करें.गाँव में सड़क, बिजली नहीं है, खाद की कीमतें बढ़ रही हैं, आपके दर्द को मैं समझ सकता हूँ. किसान कहता है कि हम इतनी मेहनत करते हैं, लोगों का तो पेट भरते हैं लेकिन हमारा जेब नहीं भरता है, हमें पूरा पैसा नहीं मिलता है. मैं मेरे किसान भाइयों-बहनों को विश्वास दिलाता हूँ, कि मैं राज्य और भारत सरकार के सभी विभागों को और अधिक सक्रिय करूंगा.

किसान भाइयो, ये आपके ढेर सारे सवालों के बीच भूमि अधिग्रहण बिल की चर्चा है, मैं हैरान हूँ कि कैसे- कैसे भ्रम फैलाए गए हैं.मैं कोशिश करूंगा कि सत्य आप तक पहुचाऊं.जो लोग आज किसानों के हमदर्द बन कर के आंदोलन चला रहे हैं , उन्होंने भी इसी कानून के तहत देश को चलाया, राज किया.2013 में आनन- फानन के साथ एक नया कानून लाया गया, हमने भी कंधे से कन्धा मिलाकर साथ दिया थाI किसान का भला हो तो साथ कौन नहीं देगा.

जब हमारी सरकार बनी, तब राज्यों की तरफ से बहुत बड़ी आवाज़ उठी . इस कानून को बदलना चाहिए, कानून में कुछ कमियां हैं.एक साल हो गया , कोई राज्य कानून लागू करने को तैयार नहीं। महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस की सरकारों ने लागू किया था. किसान हितैषी होने का दावा करने वालो ने अध्यादेश में जो मुआवजा देने का तय किया था उसे आधा कर दिया . अब ये है किसानों के साथ न्याय ? ये सारी बातें देख कर लगा कि थोडा पुनर्विचार ज़रूरी है .

यदि कुछ कमियां रह जाती हैं . तो उसको ठीक करना चाहिए . हमारा इरादा है कि किसानों का भला हो , गाँव का भी भला हो और इसीलिए कानून में अगर कोई कमियां हैं, तो दूर करनी चाहिएआपको मालूम है, हिंदुस्तान में 13 कानून ऐसे हैं जिसमें सबसे ज्यादा जमीन संपादित की जाती है , जैसे रेलवे, नेशनल हाईवे , खदान.पिछली सरकार के कानून में 13 चीज़ों को बाहर रखा गया, मतलब किसानों को वही मुआवजा मिलेगा जो पिछले कानून से मिलता था .

ये ग़लती थी कि नहीं?हमने इसको ठीक किया और कहा की उसका मुआवजा भी किसान को चार गुना तक मिलना चाहिए . कोई मुझे कहे , क्या ये सुधार किसान विरोधी है क्या ?इसीलिए हमें अध्यादेश लाना पड़ा. अगर हम अध्यादेश न लाते तो किसान की जमीन वो पुराने वाले कानून से जाती रहती, उसको कोई पैसा नहीं मिलता .सबसे पहले हमने 13 कानून जो कि भूमि अधिग्रहण कानून के बाहर थे उसको हम इस नए कानून के दायरे में ले आये ताकि किसान को पूरा मुआवजा मिले .

पिछली सरकार के कानून के चार गुना मुआवजे में रत्ती भर भी फर्क नहीं है . और जो 13 योजनाएं नहीं थी उसको भी हमने उसमे जोड़ दिया है।शहरीकरण के लिए जो भूमि का अधिग्रहण होगा, उसमें विकसित भूमि 20 प्रतिशत उस भूमि मालिक को मिलेगी ताकि उसको आर्थिक रूप से हमेशा लाभ मिले.परिवार के युवक को नौकरी मिले . खेत मजदूर की संतान को भी नौकरी मिलनी चाहिए , ये भी हमने जारी रखा है. ये नयी चीज़ हमने जोड़ करके सरकार कि जिम्मेवारी को फिक्स किया है.हम इस बात पर सहमत हैं, कि सबसे पहले सरकारी जमीन का फिर बंजर भूमि, फिर आखिर में अनिवार्य हो तब जाकर के उपजाऊ जमीन को हाथ लगाया जाये. प्रक्रियाएं लम्बी और जटिल हैं. और क्या मैं मेरे अपने किसानों को इस अफसरसाही के चुंगल में फिर एक बार फ़सा दूं. मेरे किसान भाइयो-बहनो 2014 में कानून बना है, लेकिन राज्यों ने उसका विरोध किया.

मुझे बताइए क्या मैं राज्यों की बात सुनूं या न सुनूं ?क्या मैं राज्यों पर भरोसा करूँ या न करूँ . इतना बड़ा देश, राज्यों पर अविश्वास करके चल सकता है क्या ? किसान की भलाई के लिए जो हम कदम उठा रहे हैं उसके बावजूद भी अगर किसी राज्य को ये नहीं मानना है तो वे स्वतंत्र हैं. ये जो सारे भ्रम फैलाए जा रहे हैं, वो सरासर किसान विरोधी के भ्रम हैं. किसान को गरीब रखने के षड्यन्त्र का ही हिस्सा हैं. हम तो जय-जवान, जय- किसान वाले हैं. जय-जवान का मतलब है देश की रक्षा.

देश की रक्षा के विषय में हिंदुस्तान का किसान कभी पीछे हटता नहीं है. अगर सुरक्षा के क्षेत्र में कोई आवश्कता हो तो वह जमीन किसानों से मांगनी पड़ेगी . और मुझे विश्वास है, वो किसान देगा. मैं डंके की चोट पर कहना चाहता हूँ निजी व्यवसाय करने वाले को, 2013 जमीन अधिग्रहण कानून के जितने नियम हैं, वो सारे लागू होंगे. मेरे किसान भाइयो-बहनो, एक भ्रम फैलाया जाता है कि आपको कानूनी हक नहीं मिलेगा, आप कोर्ट में नहीं जा सकते, ये सरासर झूठ है. हिंदुस्तान में कोई भी सरकार आपके कानूनी हक़ को छीन नहीं सकती संविधान के तहत आप किसी भी कोर्ट में जा करके दरवाजे खटखटा सकते हैं.

हमने एक अथॉरिटी बनायी है जो जिले के किसानों की समस्याओं का समाधान जिले में ही करेगी. वहां अगर संतोष नहीं होता तो कोर्ट जा सकते हैं. हमने प्रोजेक्ट की समय-सीमा बाँध दी है और उतने सालों में अगर प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता हैं तो जो किसान चाहेगा वही होगा. प्रोजेक्ट की समय-सीमा बांध कर हमने सरकार की जिम्मेवारी को फिक्स किया है. भ्रम फैलाया जाता है कि सहमति की जरुरत नहीं हैं. भाइयो- बहनो ये राजनीतिक कारणों से जो बाते की जाती हैं, मेहरबानी करके उससे बचिये.

क्या हम चाहतें हैं, कि हमारे किसानों के बच्चे दिल्ली-मुंबई की झुग्गी झोपड़ियों में जिन्दगी बसर करने के लिए मजबूर हो जाएँ. मेरे भाइयो-बहनो, ये व्यावहारिक विषय है. व्यापार के लिए नहीं है,गावं की भलाई के लिए है, किसान की, उसके बच्चों की भलाई के लिए है. रोड के बगल में सरकार इंडस्ट्रियल कोरीडोर बनाती है, प्राइवेट नहीं, पूंजीपति नहीं, धन्ना सेठ नहीं, सरकार बनाती है. कोरीडोर के नजदीक में जितने गाँव आयेंगे उनको वहां कोई न कोई, वहां रोजी रोटी का अवसर मिल जायेगा, उनके बच्चों को रोजगार मिल जायेगा. इंडस्ट्रियल कोरीडोर प्राइवेट नही है, ये सरकार बनाएगी और उस इलाके के लोगों को रोजगार देगी,जो गाँव और किसानो की भलाई के लिए है.

भूमि अधिग्रहण बिल की कमियों को दूर करने के लिए हमारे प्रयास प्रामाणिक हैं, फिर भी कोई कमी है तो हम सुधार के लिए तैयार हैं. मेरे किसान भाइयो-बहनो, हमारी कोशिश है कि देश ऐसे आगे बढ़े कि आपकी जमीन पर पैदावार बढ़े, इसीलिए हमने कोशिश की है, सोइल हेल्थ कार्ड की. भूमि अधिग्रहण नहीं, आपकी भूमि अधिक ताकतवर बने इसीलिए “सोइल हेल्थ कार्ड” की बात लेकर के आये हैं. हर किसान को इसका लाभ मिलने वाला है.मैं विश्वास दिलाता हूँ कि आपने जो मुझे लिख करके भेजा है, पूरी सरकार को मैं हिलाऊँगा, सरकार को लगाऊंगा कि क्या हो रहा है. आपका मुझ पर भरोसा है ये भरोसे को टूटने नहीं दूंगा, ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ. आपके पत्रों के आधार पर सरकार में गलतियाँ ठीक करूँगा. काम में तेजी लाऊंगा और न्याय दिलाने का पूरा प्रयास करूँगा

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