शहीदों को श्रद्धांजलि देते समय अन्ना हजारे की आंखें हो गई नम

नयी दिल्ली : अन्ना हजारे आज शहीद भगत सिंह के गांव खटकर कलां पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी. भगत सिंह को नमन करते वक्त उनकी आंखे नम हो गई. शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि देने के बाद जब वे उनकी तस्वीर को देखने लगे तो आंखें छलक उठीं. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2015 12:02 PM

नयी दिल्ली : अन्ना हजारे आज शहीद भगत सिंह के गांव खटकर कलां पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी. भगत सिंह को नमन करते वक्त उनकी आंखे नम हो गई. शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि देने के बाद जब वे उनकी तस्वीर को देखने लगे तो आंखें छलक उठीं.

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हुसैनीवाला जाकर इन शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे. शहीद दिवस के मौके पर अन्ना हजारे कल शाम ही जालंधर पहुंच गए थे. जिसके बाद आज सुबह अपने समर्थकों के साथ पदयात्रा कर वे शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां पहुंचे. पंजाब में नशाखोरी के बढ़ते प्रकोप को अन्ना ने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया. अन्ना ने पंजाब को नशामुक्त बनाने का प्रण भी लिया.

अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लेने वाले इन शहीदों को निर्धारित समय से एक दिन पहले 23 मार्च, 1931 को फांसी दे दी. अंग्रेज इतने डरे हुये थे कि उन्होंने इनके शवों को सतलज नदी के किनारे स्थित हुसैनीवाला के पास एकांत में जलाने की कोशिश की. उसी दौरान वहां लाला लाजपत राय की बेटी पार्वती देवी और भगत सिंह की बहन बीबी अमर कौर सहित हजारों लोग पहुंच गये. इससे वहां मौजूद अंगरेज पुलिसकर्मी शवों को अधजला छोड़ कर भाग गये. शहीद-ए-आजम भगत सिंह पर कई पुस्तकें लिख चुके चुके प्रोफेसर चमनलाल ने बताया कि लोगों ने तीनों शहीदों के अधजले शवों को आग से निकाला और फिर उन्हें लाहौर ले जाया गया.

लाहौर में तीन अर्थियां बनायी गयीं और 24 मार्च की शाम हजारों की भीड़ ने पूरे सम्मान के साथ उनकी शव यात्रा निकाली तथा उनका अंतिम संस्कार रावी नदी के किनारे उस स्थल के नजदीक किया गया, जहां लाला लाजपत राय का अंतिम संस्कार हुआ था. चमन लाल के अनुसार, रावी नदी के किनारे हुए इस अंतिम संस्कार का व्यापक वर्णन सुखदेव के भाई मथुरा दास थापर की किताब ‘मेरे भाई सुखदेव’ में है.

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