नयी दिल्ली : अपनी राष्ट्रीय परिषद की अहम बैठक से एक हफ्ते से भी कम समय से पहले आम आदमी पार्टी टूट के कागार पर आ गई है. नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता कुमार विश्वास के बातचीत के बाद भी विरोधी पक्ष झुकने को तैयार नहीं दिख रहा है. आपको बता दें कि 4 मार्च को पार्टी ने पीएसी से नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को निकाल दिया था जिसके बाद एक के बाद एक पार्टी विरोधी स्वर उजागर होने लगे.
पार्टी नेता मयंक गांधी ने अपने ब्लॉग के माध्यम से केजरीवाल पर हमला किया था जिसके कुछ दिनों के बाद राजस्थान इकाई के नेता राकेश पारिख ने भी केजारवाल से अपने ब्लॉग के माध्यम से कई सवाल किये. पार्टीं के अंदर दो विरोधी गुटों के बीच चल रही बातचीत टूटने के कगार पर है क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष अहम मुद्दों पर झुकने को इच्छुक नहीं है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि यदि बातचीत नाकाम होती है तो 28 मार्च को होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण के खेमे तथा अरविंद केजरीवाल के खेमे के बीच एक आखिरी रस्साकशी देखने को मिलेगी.
दोनों गुटों के बीच विश्वास की कमी को पाटने के लक्ष्य से पिछले हफ्ते शुरु हुई वार्ता में यह आमराय बनी थी कि दोनों खेमे मुद्दे को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे. यादव और भूषण को आप की राजनीतिक मामलों की समिति से निकाले जाने के बाद विश्वास में कमी आई थी.
हालांकि, विवाद की मूल जड कुछ अहम विषयों को लागू करना है जैसे कि आप की निर्णय लेने वाली इकाई में स्वयंसेवियों की भागीदारी, इसकी प्रदेश इकाइयों को स्वायत्ता, पार्टी को आरटीआई के दायरे में लाना और राज्य स्तर पर लोकायुक्त की नियुक्ति शामिल है. दोनों पक्ष विवादास्पद मुद्दों के संभावित हमलों के सिद्धांत और व्यवहार्यता पर अटके हुए हैं. हालांकि, सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि दोनों खेमे वार्ता को बचाने के लिए आखिरी कोशिश कर रहे हैं.
यादव और भूषण के खेमे ने कहा है कि इसने केजरीवाल गुट से इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है कि तीन महीने के समय में इसकी मांगों को कैसे लागू किया जाएगा. वहीं ,केजरीवाल गुट ने उससे इस बारे में सुझाव देने को कहा है कि विचारों को एक व्यवहारिक तरीके से कैसे लागू किया जाए. केजरीवाल गुट के एक नेता ने कहा कि उनकी इच्छाओं के मुताबिक उनकी सभी मांगों को पूरा करना संभव नहीं है क्योंकि यह व्यवहार्य नहीं है.