नयी दिल्ली : सोशल साइट पर कोमेंट और पोस्ट करने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने आज थोड़ी राहत दी है. आज सुनाये गये फैसले के अनुसार इससे संबंधित आइटी एक्ट की धारा 66 ए को खत्म कर दिया, हालांकि आइटी एक्ट का अस्तित्व रहेगा. इस धारा के तहत फेसबुक, ट्विटर व अन्य सोशल साइट पर कमेंट लिखने पर किसी को आपत्ति होने पर कमेंट करने वाले या उसे लाइक करने वाली की गिरफ्तारी हो सकती थी, अब ऐसा नहीं होगा. ये हैं कुछ प्रमुख मामले…
ममता पर टिप्पणी भारी पड़ाबापी को
पुलिस ने अक्टूबर 2014 को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ फेसबुक पर अपमानजनक टिप्पणी के मामले में मालदा जिले से एक युवक को गिरफ्तार किया गया था. बापी पाल (25) नाम के इस युवक को गिरफ्तार करने के बाद एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया जिसके बाद अदालत ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. तृणमूल कांग्रेस के एक समर्थक की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था.
आजम खान का मामला 24 घंटे के अंदर गिरफ्तारी
उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों एक छात्र के द्वारा मंत्री आजम खां पर की गई टिप्पणी के बाद 24 घंटे के अंदर गिरफ्तारी की गई जिसके बाद समाजवादी पार्टी नेता और मंत्री विपक्ष के निशाने पर आ गये. उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्री व सपा नेता आजम खान के नाम पर टिप्पणी करने वाले युवक ने भी शीर्ष अदालत के फैसले पर खुशी जतायी है. उसने कहा है कि वह अपनी गिरफ्तारी के बाद मानसिक रूप से परेशान था.
महाराष्ट्र के पालघर फेसबुक विवाद
महाराष्ट्र के पालघर फेसबुक विवाद के बाद शाहीन ढाडा सुर्खियों में आयी.बाला साहब ठाकरे के निधन के बाद मुंबई बंद को लेकर पालघर की एक लड़की ने फेसबुक पर अपने कमेंट के जरिए सवाल उठाए थे इसके बाद उसकी दोस्त ने इस कमेंट को लाइक कर दिया जिससे शिवसैनिक भड़क गए. इसके बाद शिवसैनिकों ने पुलिस थाने में कमेंट के बाबत केस दर्ज कराया था. इसके बाद दोनों लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया गया हालांकि बाद में उन्हें जमानत दे दी गई थी.
ममता के खिलाफ 2012 की टिप्पणी
फेसबुक पर की गई टिप्पणी के आधार पर राज्य में ममता बनर्जी सरकार की ओर से इससे पहले अप्रैल, 2012 में ममता तत्कालीन रेल मंत्री मुकुल राय और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पर एक कार्टून पोस्ट करने के आरोप में यादवपुर विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को भी गिरफ्तार किया गया था. तब उनकी गिरफ्तारी पर काफी बवाल मचा था. लगभग 50 वर्ष की उम्र के भौतिक रसायनशास्त्र के प्रोफेसर महापात्रा को कथित तौर पर बनर्जी सहित तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं के निंदात्मक कार्टून लोगों को ई-मेल के जरिए भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.