नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसंबर की सामूहिक बलात्कार घटना के दोषियों की पैरवी कर रहे दो वकीलों से आज जवाब मांगा, जिनके खिलाफ एक महिला अधिवक्ताओं के निकाय ने बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी में महिलाओं के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए कार्रवाई की मांग की है.
न्यायमूर्ति वी गोपाल गौडा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने कहा, ‘‘हमने दलीलों, तर्क वितर्क और याचिका में की गई शिकायतों को सुना है. तथ्यात्मक और कानूनी दलीलों के मद्देनजर मामले पर विचार करने की आवश्यकता है.’’ पीठ ने दोनों वकीलों- एमएल शर्मा और एपी सिंह को नोटिस जारी किया और दो हफ्ते के भीतर उनसे जवाब मांगा है.
उच्चतम न्यायालय महिला अधिवक्ता एसोसिएशन ने अपनी याचिका में मांग की थी कि दोनों वकीलों के शीर्ष अदालत परिसर में प्रवेश पर रोक लगाई जाए. इसमें आरोप लगाया गया था कि बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी में उनकी टिप्पणियां ‘‘अमानवीय, लज्जाजनक, अनुचित, पक्षपातपूर्ण, अपमानजनक और दूषित सोच की परिचायक हैं’’ तथा ‘‘महिलाओं की गरिमा का सीधा अपमान और उल्लंघन हैं,’’ खासकर उनके लिए जो उच्चतम न्यायालय में प्रैक्टिस कर रही हैं. उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने महिला अधिवक्ता एसोसिएशन की याचिका का समर्थन किया.