पत्नी और बच्चे के गुजर बसर के लिये पति कानूनन बाध्य : अदालत

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को घरेलू हिंसा मामले में अलग रह रही पत्नी और बच्चे को गुजाराभत्ते के रुप में 5000 रुपए प्रतिमाह देने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा है कि उनके गुजर बसर की व्यवस्था करना पति का कानूनन दायित्व है. महिला के पति और उसके ससुरालवालों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2015 7:33 PM

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को घरेलू हिंसा मामले में अलग रह रही पत्नी और बच्चे को गुजाराभत्ते के रुप में 5000 रुपए प्रतिमाह देने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा है कि उनके गुजर बसर की व्यवस्था करना पति का कानूनन दायित्व है.

महिला के पति और उसके ससुरालवालों के खिलाफ एकपक्षीय आदेश में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रिचा परिहार ने इस व्यक्ति को अपनी पत्नी को 10,000 रुपए मुआवजे के तौर पर देने का भी निर्देश दिया.

अदालत ने कहा, याचिकाकर्ता के पास गुजारा करने के लिए कोई साधन नहीं है. प्रतिवादी, जो याचिकाकर्ता का पति है, का कानूनन यह दायित्व है कि वह याचिकाकर्ता और उसके नाबालिग बच्चे के गुजरे की व्यवस्था करे. अदालत ने कहा कि महिला ने अपने पति के पेशे और आय के बारे में कोई कागजात नहीं पेश किये है, ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति को महिला को 3000 रुपए और बच्चे को 2000 रुपए प्रतिमाह बतौर गुजारा भत्ता देने का निर्देश देती है.

महिला की गवाही पर अदालत ने कहा, उसके सबूतों का प्रतिवादी (पति और ससुराल वालों) ने कोई खंडन नहीं किया एवं कोई चुनौती नहीं दी. बार बार मौका दिए जाने के बाद भी प्रतिवादी अदालत में पेश नहीं हुए. अतएव मुझे याचिका और हलफनामे में लगाए गए आरोपों पर अविश्वास करने का कोई कारण नजर नहीं आता.

महिला की 2005 में शादी हुई थी और 2007 में उसने एक बच्चे को जन्म दिया। महिला ने 2011 में शिकायत दर्ज करायी कि शादी के पहले दिन से ही उसके पति और ससुरालवाले उसे दहेज के लिए परेशान कर रहे थे, मारपीट कर रहे थे.

Next Article

Exit mobile version