1984 सिख विरोधी दंगा : जगदीश टाइटलर के खिलाफ सीबीआइ को नहीं मिले सबूत

नयी दिल्ली : 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को क्लीन चिट मिल गई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआइ ने मामले पर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी है. सीबीआइ ने कहा है कि जगदीश टाइटलर के खिलाफ हमें कोई सबूत नहीं मिले हैं. आपको बता दें की कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 25, 2015 2:05 PM

नयी दिल्ली : 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को क्लीन चिट मिल गई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआइ ने मामले पर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी है. सीबीआइ ने कहा है कि जगदीश टाइटलर के खिलाफ हमें कोई सबूत नहीं मिले हैं. आपको बता दें की कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर 1984 में सिख विरोधी दंगा भडकाने का आरोप है.

1984 सिख विरोधी दंगा के वकील एचएस फुल्का ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि जगदीश टाइटलर को सीबीआइ ने दिसंबर में ही क्लीन चिट दे दी थी साथ ही इस मामले पर क्लोजर रिपोर्ट भी दा‍खिल कर चुकी है लेकिन इसकी जानकारी लोगों को नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि इस संबंध में अकाली दल और गुरूद्वारा कमेटी को खबर थी लेकिन चुनाव के बीच उन्होंने इसे लोगों के बीच लाना ठीक नहीं समझा.

क्या है सिख विरोधी दंगा

सिख विरोधी दंगा तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ. उनकी हत्या खुद उनके अंगरक्षकों ने कर दी थी जो सिखे थे. इंदिरा गांधी ने पंजाब में सिख आतंकवाद को दबाने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करवाया जिसमें प्रमुख आतंकवादी भिंडरावाला सहित कई की मौत हो गई और इस कार्रवाई में स्वर्ण मंदिर के कुछ हिस्सों को क्षति पहुंची जिसका बदला लेने के लिए अंगरक्षको ने इस घटना को अंजाम दिया. इसके बाद यह सि ख विरोधी दंगा शुरू हुआ जो धीरे-धीरे कई राज्यों में फैल गया.

क्यों शुरू हुआ ऑपरेशन ब्लू स्टार

इंदिरा गांधी ने 5 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करवाया. पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सिर उठाने लगी थीं और उन ताकतों को पाकिस्तान से हवा मिल रही थी. पंजाब में भिंडरावाले का उदय इंदिरा गांधी की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं के कारण हुआ था. लेकिन बाद में भिंडरावाले की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएं देश को तोड़ने की हद तक बढ़ गई थीं. जो भी लोग पंजाब में अलगाववादियों का विरोध करते थे, उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता था.

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