नयी दिल्ली: विरोधियों सहित पूरे राजनीतिक क्षितिज में सम्मान पाने वाले करिश्माई नेता, ओजस्वी वक्ता, प्रखर कवि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को आज देश के शीर्ष नागरिक सम्मान भारत रत्न से विभूषित किया गया.90 वर्ष के वाजपेयी की अस्वस्थता को देखते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रोटोकोल को दरकिनार कर यहां कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके निवास पर खुद पहुंचे और एक सादे समारोह में उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया. अस्वस्थ होने के कारण वाजपेयी पिछले लगभग आठ साल से सार्वजनिक जीवन से दूर हैं.राष्ट्रपति द्वारा वाजपेयी को भारत रत्न से नवाजे जाने के समय उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री के कुछ परिजन उपस्थित थे.
इस संक्षिप्त समारोह के तुरंत बाद वाजपेयी के निवास के लॉन में ही एक चाय पार्टी आयोजित हुई जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, जदयू अध्यक्ष शरद यादव, केंद्रीय मंत्रिमंडल में वरिष्ठ सहयोगी, कई मुख्यमंत्री, राजनैतिक दलों के नेता और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.इस मौके पर पढे गए प्रशंसात्मक उल्लेख में कहा गया कि वाजपेयी एक ऐसे राजनेता के रुप में जाने जाते हैं जिनकी कुशाग्रता बहुतों को आकर्षित करती है और साथ लाती है.
यह पूरा समारोह राष्ट्रपति भवन की ओर से आयोजित किया गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर खुशी जताते हुए कहा, अटल बिहारी वाजपेयी भारत माता के ऐसे प्रिय सपूत जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया. आज हमें उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला.मोदी ने कहा, अटलजी का जीवन राष्ट्र को समर्पित था, वह देश के लिए जिए और हर पल देश बारे में सोचा. भारत में मेरे जैसे करोडों कार्यकर्ता हैं जिनका जीवन वाजपेयी जी से प्रेरित है.
वाजपेयी को साहसिक पहल करने के लिए भी जाना जाता है जिसमें प्रधानमंत्री के रुप में उनकी 1999 की ऐतिहासिक लाहौर बस यात्रा शामिल है, जब पाकिस्तान जाकर उन्होंने वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए.
उनकी साहसिक पहलों में भारत द्वारा मई 1998 में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण करना शामिल है.मोरारजी देसाई सरकार में विदेश मंत्री रहने के समय से ही वह पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने के प्रयास करते रहे. लाहौर बस यात्रा के जरिए की गई उनकी शांति पहल को कारगिल में पाकिस्तान की घुसपैठ से धक्का लगने के बावजूद उन्होंने एक और प्रयास में पाकिस्तान के तत्कालीन शासक जनरल परवेज मुशर्रफ के साथ ऐतिहासिक आगरा शिखर बैठक की लेकिन गतिरोध खत्म करने में सफलता नहीं मिल पाई.
अपने छह साल के राजनीति जीवन में वाजपेयी 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए.वह देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने, जिनका कांग्रेस से कभी नाता नहीं रहा. साथ ही वह कांग्रेस के अलावा के किसी अन्य दल के ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया.
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी और अब वाजपेयी ऐसे प्रधानमंत्रियों में शामिल हैं जिन्हें उनके जीवनकाल में भारत रत्न से सम्मानित किया गया. इनमें नेहरु और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री रहते ही इस पुरस्कार से नवाजा गया था.राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से गहरे से जुडे होने के बावजूद वाजपेयी की एक धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी छवि है. उनकी लोकप्रियता भी दलगत सीमाओं से परे है.
ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी जनसंघ के अध्यक्ष और भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे. वह तीन बार प्रधानमंत्री बने. उनकी पहली सरकार 1996 में मई में बनी जो मात्र 13 दिन चली. दूसरी सरकार मार्च 1998 में बनी जो 13 महीने रही और उसके बाद उनकी तीसरी सरकार ने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया.
भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के अवसर पर पढे गए प्रशंसात्मक उल्लेख में कहा गया, वह एक महान वक्ता और कवि-नेता हैं, वह न केवल अपने समर्थकों को आकर्षित करते है बल्कि पूरा देश उनके साथ चलता और काम करता है. इसमें कहा गया कि वाजपेयी ने एक व्यापक आधार वाले गठबंधन को बनाया और एक ऐसा समावेशी राजनीतिक मानक तय किया जिसके तहत आने वाले वर्षो में भारत में शासन चला.