संतोष कुमार सिंह
नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी में चल रही अंदरुनी लड़ाई शनिवार को उस वक्त अंजाम तक पहुंच गयी जब प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया. भारी हंगामे और नाटकीय घटनाक्रम के बीच आनंद कुमार व अजीत झा को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाने के लिए राष्ट्रीय परिषद में प्रस्ताव पारित किया गया. इस बीच दोनों धड़ों की ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. एक तरफ केजरीवाल समर्थक बोले कि प्रशांत-योगेंद्र को बहुमत की मर्जी से राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर किया गया. वहीं, योगेंद्र व प्रशांत ने आरोप लगाया कि बैठक के दौरान उनके समर्थकों से मारपीट की गयी. परिषद की बैठक को ‘असंवैधानिक और गैरकानूनी’ करार देते हुए खुद को हटाये जाने के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की संभावना को खारिज नहीं किया.
दिल्ली के बॉर्डर पर स्थित कापसहेड़ा में बैठक शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया. जैसे ही योगेंद्र यादव मीटिंग स्थल पर पहुंचे, उन्हें अरविंद समर्थकों की नारेबाजी का सामना करना पड़ा. कुछ सदस्यों को अंदर प्रवेश न दिये जाने का आरोप लगाते हुए योगेंद्र बैठक स्थल से बाहर धरने पर बैठ गये. बाद में अंदर गये. बाहर निकल कर कहा कि इस बैठक में लोकतंत्र की हत्या हुई है. रमजान चौधरी के साथ मारपीट की गयी और उन्हें घसीट कर बाहर किया गया. यह सब सुनियोजित तरीके से हुआ. इससे पहले बैठक में पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने करीब एक घंटे तक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने परिषद के 300 से अधिक सदस्यों से कथित तौर पर कहा कि वह उन्हें या फिर प्रशांत-योगेंद्र में से किसी एक को चुन लें.
इसके बाद केजरीवाल के करीबी मनीष सिसोदिया ने चार नेताओं को कार्यकारिणी से बाहर करने वाला प्रस्ताव पेश किया. 247 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि 10 ने इस प्रस्ताव का विरोध किया. 54 अन्य ने इस मतदान में भाग नहीं लिया.
बहुमत का फैसला
उधर, केजरीवाल समर्थक और आप के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने कहा कि 247 सदस्यों ने चार सदस्यों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाने के पक्ष में वोट किया. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव संजय सिंह ने कहा कि बैठक के दौरान कोई भी मारपीट नहीं हुई है. जिस समय अरविंद केजरीवाल का भाषण चल रहा था, उसी समय रमजान चौधरी खड़े होकर जोर-जोर से चिल्लाने लगे. कई सदस्यों ने रमजान से कहा कि वे पहले संयोजक की पूरी बात सुन लें, उसके बाद अपनी बात रखें. बैठक में कई मुद्दों पर बैठक में चर्चा हुई है. कई समितियां बनायी जायेंगी. इन समितियों को बनाने का जिम्मा पीएसी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और परिषद को दिया गया है.
सब पहले से निर्धारित
बाद में योंगेंद्र-प्रशांत ने प्रेस काफ्रेंस भी की. इस दौरान प्रो आनंद कुमार और सांसद धर्मवीर गांधी भी मौजूद थे. प्रो आनंद ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने निकाले जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे. हमें बोलने नहीं दिया गया. योगेंद्र ने कहा कि सभी चीजें पूर्व निर्धारित थीं. निर्धारित मानदंडों को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए कुछ ही मिनट में प्रस्ताव पेश किया गया. प्रशांत ने कहा कि हमने शनिवार को स्टिंग के दौरान केजरीवाल को जो कुछ कहते सुना गया था, उस पर रविवार की बैठक में पूरी तरह अमल किया गया. बैठक में न कोई चर्चा हुई, न कोई गुप्त मतदान और न ही मतदान को प्रदर्शित किया गया.
रामदास को क्यों किया मना
बैठक से कुछ ही घंटों पहले योगेंद्र ने एक पत्र सार्वजनिक किया जो ‘आप’ के आंतरिक लोकपाल रामदास ने पार्टी नेतृत्व को लिखा था. पूर्व नौसेना प्रमुख ने इस पत्र में इस बात पर आश्चर्य जताया है कि पार्टी ने ‘विवाद से बचने के लिए’ उन्हें बैठक में शामिल नहीं होने को कहा है. इस पत्र में रामदास ने उस एसएमएस का हवाला दिया, जो उन्हें ‘आप’ के सचिव पंकज गुप्ता ने भेजा है. इस एसएमएस में पार्टी ने उन्हें बैठक में भाग नहीं लेने के लिए कहने के कई कारण बताये हैं.
जायेंगे अदालत !
आप की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को असंवैधानिक और अवैध करार देते हुए असंतुष्ट नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने राष्ट्रीय कार्यकारणी से अपने निष्कासन के खिलाफ कानून का रास्ता अपनाने की संभावना से इनकार नहीं किया. प्रशांत ने बैठक के बाद कहा कि यह सही है कि हम अदालत, चुनाव आयोग जा जा सकते हैं या राष्ट्रीय परिषद की दूसरी बैठक बुला सकते हैं. सभी विकल्प खुले हैं.
मेधा ने छोड़ी पार्टी
राष्ट्रीय परिषद की बैठक पर ‘आप’ की नेता मेधा पाटकर ने मुंबई में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और पार्टी से अपने इस्तीफे का एलान किया. दावा किया कि योगेंद्र और भूषण कभी भी पार्टी के खिलाफ काम नहीं कर सकते. इस बीच अन्ना हजारे न इसे पार्टी का आंतरिक मामला बताते हुए कुछ भी कहने से इनकार किया.
अपरिपक्व राजनीति करके मौके को नहीं गंवाना चाहिए. दिल्ली के लोगों ने काफी उम्मीदों के साथ ‘आप’ के पक्ष में मतदान किया था और उन्हें इस तरह की राजनीति की उम्मीद नहीं थी. एक नये तरह की राजनीति उभर कर आयी है जब एक नेता बात करता है और उसकी बातचीत दर्ज है.
अरुण जेटली, वित्त मंत्री
सबसे पहले ‘आप’ को अपना घर दुरुस्त करना करना चाहिए और दिल्ली में वादों को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए. यह आपकी चिंता है, दिल्ली के निवासियों की चिंता है. इस तरह की चीजें हर दिन चलती हैं तो मेरा मानना है कि दिल्ली सबसे अधिक खोने वाला है.
अभिषेक मनु सिंघवी, कांग्रेस प्रवक्ता