19 अप्रैल को राहुल गांधी की छुट्टी होगी खत्म, शुरू होगी पॉलीटिकल ड्यूटी

नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 19 अप्रैल को दिल्ली में एक बडी किसान रैली को संबोधित करेंगी. इस रैली के माध्यम से कांग्रेस अपने खोये जनाधार को वापस पाने की कोशिश करेगी. दरअसल, लंबे समय से मुद्दाविहीन नजर आ रही कांग्रेस को भूमि अधिग्रहण विधेयक के रूप में एक बडा राजनीतिक मुद्द मिल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 30, 2015 6:19 PM
नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 19 अप्रैल को दिल्ली में एक बडी किसान रैली को संबोधित करेंगी. इस रैली के माध्यम से कांग्रेस अपने खोये जनाधार को वापस पाने की कोशिश करेगी. दरअसल, लंबे समय से मुद्दाविहीन नजर आ रही कांग्रेस को भूमि अधिग्रहण विधेयक के रूप में एक बडा राजनीतिक मुद्द मिल गया है. इस मुद्दे पर सोनिया गांधी ने यह संकेत दे दिया है कि वह किसी हाल में पीछे नहीं हटेंगी. 20 अप्रैल से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण से ठीक पहले यह रैली कर सोनिया गांधी अपनी राजनीतिक ताकत भी नरेंद्र मोदी सरकार को दिखायेंगी.
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने राहुल के रैली में उपस्थित रहने की पुष्टि कर दी है. इसके बाद संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में भी राहुल गांधी नियमित रूप से उपस्थित रहेंगे.
दिलचस्प यह कि इस मुद्दे पर सोनिया गांधी ने 14 दलों का समर्थन व नेतृत्व भी हासिल कर लिया है. वे पिछले दिनों विभिन्न 14 पार्टियों का नेतृत्व करती हुई सडक पर उतरी भी थीं और राष्ट्रपति को ज्ञापन भी दिया था.
राहुल का लांचिंग पैडबनेगीकिसान रैली
कांग्रेस के रणनीतिकार 19 अप्रैल की किसान रैली को राहुल गांधी को री लांच करने का पैड भी बनाना चाह रहे हैं. इसकी तैयारी अंदरखाने जोरशोर से चल रही है. सूत्रों का कहना है कि पिछले एक महीने में जिस तरह देश वासियों ने सोनिया गांधी को राजनीति की दूसरी पारी खेलते हुए देखा है, उसी तरह इस रैली के बाद राहुल गांधी भी अपनी राजनीति के दूसरी पारी की शुरुआत करते दिखेंगे. सूत्रों का तो यह भी कहना है कि ऐसा उनको अध्यक्ष पद सौंपने के ठीक पहले एक विशेष रणनीति के तहत किया जा रहा है, ताकि पार्टी का पुनजर्न्म तो हो ही पार्टी भी नये अवतार में दिखेगी.
अपने कोर वोट बैंक को वापस पाने की कवायद
किसान, गरीब कांग्रेस के स्वाभाविक वोट बैंक रहे हैं. सोनिया गांधी ने अपने पूरे राजनीतिक कैरियर में गरीबों व किसानों पर केंद्रित राजनीति की. उन्होंने मनरेगा कानून सहित कई ऐसे उपाय किये जो किसानों को अधिकार और संसाधन संपन्न बनाने के लिए अहम हैं. अब सोनिया गांधी उन्हें यह संदेश देना चाहती हैं कि पिछली बार नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने भ्रमित कर उनका वोट हासिल कर लिया है और वे ही उनकी असली हितैषी हैं. इसलिए कांग्रेस 2013 के ही अपने वाले भूमि अधिग्रहण कानून पर अड गयी है.
पीढीगत बदलाव
कांग्रेस में इस रैली के बाद पीढीगत बदलाव का नजारा भी दिखने लगेगा. टीम राहुल के सदस्य पार्टी में सक्रिय रूप से काम करते दिखने लगेंगे. हालांकि सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली वरीय नेताओं की टीम भी पूर्व की तरह काम करती रहेगी. यह बहुत हद तक भाजपा की द्विस्तरीय नेतृत्व जैसी होगी.

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