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धरती के स्वर्ग में क्यों बार बार आ रहा है सैलाब?

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर में एक साल से भी कम समय में दूसरी बार बाढ आयी है. इस त्रासदी से पूरे राज्य की जनता परेशान है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जम्मू कश्मीर में अब बारंबार बाढ क्यों आ रही है. अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाने वाली जम्मू […]

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर में एक साल से भी कम समय में दूसरी बार बाढ आयी है. इस त्रासदी से पूरे राज्य की जनता परेशान है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जम्मू कश्मीर में अब बारंबार बाढ क्यों आ रही है. अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाने वाली जम्मू कश्मीर की नदियां ङोलम, सिंधु, तवी, चिनाव अब अपने मातमी सैलाब के लिए चर्चा में हैं. आखिर ऐसा क्या है कि ये नदियां अब दो चार दिनों की बारिश में भी उफन जा रही हैं?
बढ गया है हिमालय क्षेत्र का तापमान
इंस्टीट्यूट फॉर ट्रॉजिकल मटीरियलॉजी के अनुसार, पिछले 150 सालों में पूरी धरती का तापमान बढा है, पर पृथ्वी के तापमान में हुई औसत वृद्धि की तुलना में इस क्षेत्र में यह तापमान दो गुणा बढी है. तापमान में हुई वृद्धि को कश्मीर में आने वाली बाढ का दीर्घकालिक कारण माना जा रहा है. हालांकि फौरी तौर पर इस बाढ का कारण पश्चिमी विक्षोभ को बताया जा रहा है.
2014 का बाढ और तबाही
2014 में आयी बाढ से भारत और पाकिस्तान दोनों प्रभावित हुए थे. इसमें 450 लोग मारे गये थे और भारत को कम से कम एक लाख करोड रुपये का नुकसान हुआ था. उस समय पाकिस्तान के आतंकी हाफिज सईद ने पाकिस्तान में आयी बाढ को नरेंद्र मोदी का जल आतंकवाद करार दिया था और भारत को मजा चखाने की चेतावनी दी थी. जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर ङोलम नदी का विस्तृत अध्ययन कराने की मांग की थी. उन्होंने यह भी मांग की थी कि ङोलम नदी के रूट को श्रीनगर शहर के आसपास डायवर्ट किया जाये.
विशेष नियंत्रण कक्ष को दो दिनों में 30 हजार कॉल, एसएमएस प्राप्त हुए
राज्य में भारी वर्षा के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने में लोगों की मदद करने के उद्देश्य से जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा स्थापित विशेष नियंत्रण कक्ष को दो दिनों में 30 हजार कॉल और एसएमएस प्राप्त हुए हैं.
एक पुलिस प्रवक्ता ने बताया, ‘‘ हमें नियंत्रण कक्ष में करीब 30 हजार कॉल और ह्वाट्सएप संदेश प्राप्त हुए हैं. नियंत्रण कक्ष खराब मौसम के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने में लोगों की मदद करने के उद्देश्य से पीसीआर श्रीनगर में स्थापित किया गया है.’’ इस नियंत्रण कक्षा की स्थापना रविवार को हुई है.
उन्होंने कहा कि नियंत्रण कक्ष में तीन समर्पित फोन नंबर पर 20,546 कॉल प्राप्त हुए है जबकि 9454 ह्वाट्सएप संदेश और चित्र भी प्राप्त हुए हैं.उन्होंने कहा कि अधिकारियों के एक दल को हेल्पलाइन नंबर पर नजर रखने का कार्य सौंपा गया है जो कॉल करने वालों को जानकारी प्रदान करने के साथ मदद प्राप्त करने के लिए भी कॉल प्राप्त करता है.
प्रवक्ता ने कहा कि अधिकांश कॉल करने वालों ने ङोलन नदी के जलस्तर और नगर के विभिन्न इलाकों में जल जमाव के बारे में जानकारी मांगी.

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