श्रीनगरः शहर के राजबाग इलाके का रहने वाला इरफान भट शनिवार को कश्मीर में शुरु हुई भारी बारिश से सहम गया है. यह बारिश उसे सात महीने पहले की उस बाढ़़ की याद दिलाती है, जिसने धरती की इस खूबसूरत जन्नत को तबाह कर दिया था. बारिश की टिप- टिप उसे सोने नहीं देती और वह रह रहकर किसी अनिष्ट की आशंका से सिहर जाता है.
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बाढ़ के खौफ से सहमे हैं राजबाग के लोग
श्रीनगरः शहर के राजबाग इलाके का रहने वाला इरफान भट शनिवार को कश्मीर में शुरु हुई भारी बारिश से सहम गया है. यह बारिश उसे सात महीने पहले की उस बाढ़़ की याद दिलाती है, जिसने धरती की इस खूबसूरत जन्नत को तबाह कर दिया था. बारिश की टिप- टिप उसे सोने नहीं देती और […]
पिछले बरस की बाढ़़ में करीब 18 घंटे तक अपने परिवार के साथ अपने घर में फंसे रहे भट ने बताया, ‘‘सितंबर की तबाही का मंजर अब तक मेरी आंखों में ताजा है जब बाढ़ का उफनता पानी देखते ही देखते हमारे इलाके में घुस आया था.’’ भट और उनके बड़े भाई आशिक ने पिछले साल 18 फुट गहरे पानी में घिरने के बाद अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को इमदाद के लिए कई फोन किए.
वह बताते हैं, ‘‘पानी जैसे- जैसे बढ़ रहा था, हम अपने मकान की उपरी मंजिलों पर चढते जा रहे थे. पहले पहली, फिर दूसरी और फिर तीसरी. उसके उपर कुछ नहीं था, लेकिन शुक्र है कि पानी भी उससे आगे नहीं बढा.’’ वह बताते हैं कि अगले दिन दोपहर बाद आखिरकार उनके रिश्तेदार नाव के साथ वहां पहुंचे और उनके परिवार को बचाया गया. परिवार में चार वयस्क और छह बच्चे शामिल हैं.
पेशे से व्यवसायी भट बंधु जैसे और भी बहुत लोग हैं जिनका घर बार और रोजगार पिछले साल की बाढ़ ने लील लिया था.वह कहते हैं, ‘‘पिछले साल की उस खौफजदा बाढ़ के बाद मैंने अपने दोस्तों की यह बात नहीं मानी कि राजबाग को छोड़कर अपनी रिहायश किसी दूसरी जगह बना लूं लेकिन इस बार मैंने बारिश के कारण पानी जमा होने से पहले ही यह जगह छोड़ दी. पिछले साल के उस दुस्वप्न का दोहराव मैं किसी सूरत नहीं देखना चाहता था.’’
भट कहते हैं कि घाटी में जब भारी बारिश हो रही थी और झेलम नदी का पानी अचानक बढने लगा तो वह दो रात तक सो नहीं पाए. वह कहते हैं, ‘‘हालांकि मैं समय पर महफूज जगह पर चला गया था, लेकिन मैं सो नहीं पाया क्योंकि पिछली बार भी रात के अंधेरे में ही बाढ़ का पानी चला आया था.’’ झेलम में कल शाम से पानी घटने लगा है और राजबाग के लोगों को उम्मीद है कि अगले दो दिन में बारिश की मौसम विभाग की भविष्यवाणी के बावजूद उनकी मुश्किलों में इजाफा नहीं होगा.
हालांकि बेमिना में हमदानिया कालोनी के रहने वाले इतने खुशनसीब नहीं थे. एक नहर के तटबंध टूटने के कारण बारिश का पानी इस इलाके में घुस आया. यहां रहने वाले लोग पिछले वर्ष की बाढ़ से बिखरे अपनी जिंदगी के तिनके फिर बटोरने की कोशिश में थे कि इलाके में दोबारा बाढ़ ने इन्हें एक और झटका दे दिया.
एक स्थानीय निवासी गुलाम हसन अपने एकमंजिला मकान में भरे पानी को देखकर बेहद मायूस लहजे में कहते हैं, ‘‘अभी तो हम पिछले साल की बाढ़ से हुए नुकसान से ही नहीं उबर पाए थे और कुदरत का कहर फिर टूट पडा.’’ पिछले साल भारी नुकसान उठाने वाले व्यवसायियों ने इस बार भारी बारिश से बाढ़ की आशंका को देखते हुए अपना सामान अपनी दुकानों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया.
सिले सिलाए कपडों का कारोबार करने वाले मोहम्मद यासीन डार कहते हैं, ‘‘पिछले साल मेरा सब कुछ चला गया था. मैंने जैसे तैसे अपना कारोबार फिर शुरु किया, लेकिन मैं एक और झटका ङोलने की हालत में नहीं हूं. मैंने लाल चौक की अपनी दुकान से सामान निकालकर अपने घर पर रख दिया है.’’ लाल चौक के व्यवसायिक केंद्र की ज्यादातर दुकानें इन दिनों खाली हैं क्योंकि लोगों ने एहतियातन अपना सामान निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है.
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