नकवी ने जम्मू कश्मीर बाढ पर प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपी, मरने वालों की तादाद 17 हुई

नयी दिल्ली: पिछले सात महीने में जम्मू कश्मीर के दूसरी बार बाढ का सामना करने के बीच केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने स्थिति की समीक्षा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में समस्याओं से निपटने के लिए कई कदम उठाने के सुझाव दिये हैं. इधर जम्मू कश्मीर में फिर से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 31, 2015 9:01 PM
नयी दिल्ली: पिछले सात महीने में जम्मू कश्मीर के दूसरी बार बाढ का सामना करने के बीच केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने स्थिति की समीक्षा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में समस्याओं से निपटने के लिए कई कदम उठाने के सुझाव दिये हैं.
इधर जम्मू कश्मीर में फिर से बारिश होने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान से लोगों के बीच घबराहट है, जो बाढ की स्थिति में आज सुधार होने पर राहत महसूस कर रहे हैं. बाढ से अब तक 17 लोगों की जान जा चुकी है. पिछले 24 घंटों से कोई बारिश नहीं हुई है जिससे दिन के वक्त घाटी में बाढ को लेकर लोग कम चिंतित नजर आए.
राज्य के बाढ प्रभावित श्रीनगर और बारामुला का दौरा करने और राज्य सरकार, सेना और अर्ध सैनिक बलों के अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद नकवी ने प्रधानमंत्री को आज अपनी रिपोर्ट सौंपी। अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री प्रभावित लोगों से भी मिले थे.मोदी से मुलाकात के बाद नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार बाढ की स्थिति से निपटने में राज्य सरकार को हर तरह से मदद देने को प्रतिबद्ध है.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ इस संकट की घडी में केंद्र सरकार राज्य के लोगों और वहां की सरकार के साथ खडी है और लोगों को घबडाने की जरुरत नहीं है.’’ समझा जाता है कि नकवी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नागरिक और सैन्य प्राधिकार स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठा रहे हैं जिसमें प्रभावित लोगों को निकालने और ङोलम नदी पर तटबंधों को भरने के प्रयास शामिल हैं.समझा जाता है कि नकवी ने अपनी रिपोर्ट में बाढ की स्थिति के मद्देनजर ङोलम नदी के तटबंधों को मजबूत बनाने का सुझाव दिया.
सूत्रों ने बताया कि उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में जलनिकासी से जुडी समस्याओं को सुलझाने की जरुरत है.अपनी रिपोर्ट में समझा जाता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि पिछले वर्ष सितंबर में बाढ से निपटने के लिए उपलब्ध कराये गए कोष का ठीक ढंग से उपयोग नहीं किया गया जिसके परिणामस्वरुप वही क्षेत्र फिर से प्रभावित हुए हैं.

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