क्या है गिरिराज सिंह के विवादित बयानों का राज

नयी दिल्लीः केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह अक्सर अपने विवादित बयानों के कारण खबरों में रहते हैं. इस बार उन्होंने सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने पर विवादित बयान दिया है. यह पहला मौका नहीं है जब गिरिराज के बयान से इतना हंगामा मचा है. इससे पहले भी उन्होंने कई विवादित बयान दिये हैं जिस पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2015 3:32 PM

नयी दिल्लीः केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह अक्सर अपने विवादित बयानों के कारण खबरों में रहते हैं. इस बार उन्होंने सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने पर विवादित बयान दिया है. यह पहला मौका नहीं है जब गिरिराज के बयान से इतना हंगामा मचा है. इससे पहले भी उन्होंने कई विवादित बयान दिये हैं जिस पर केस तक दर्ज हो चुका है. गिरिराज की राजनीति करने का तरीका यही है. वह बड़े नेताओं पर बयान देकर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते है. आईये नजर डालते है कि उनके कुछ बयानों पर जिस पर जमकर विवाद हुआ और बाद में गिरिराज को इस पर या तो सफाई देता देखा गया या उन्हें माफी मांगनी पड़ी

क्या भाजपा नेताओं के विवादित बयान की कड़ी का एक हिस्सा है गिरिराज
भारतीय जनता पार्टी में कई नेता ऐसे है जिनकी विवादित टिप्पणी मीडिया में सुर्खियां बटोरती रही. बाद में भाजपा नेताओं को अपने बयानों को लेकर संसद में भी माफी मांगनी पड़ी. विपक्ष ने भी इन बयानों को बड़ा मुद्दा बनाकर संसद में जोरदार हंगामा किया. यहां तक कि इन बयानों को लेकर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल खड़े कर दिये गये. साध्वी निरंजन ज्योति ने जिस वक्त विवादित बयान दिया ठीक उसी वक्त राजनीतिक लड़ाई में एक नयी तुलना कर दी गयी. पहली बार केंद्र में मंत्री बने हैं गीरिराज ने केजरीवाल की तुलना राक्षस मारीच से कर दी प्रधानमंत्री को राम कह दिया.
प्रधानमंत्री की नजर में आने के लिए लोकसभा चुनाव के दौरान भी गिरिराज ने कहा था कि गर कोई नरेंद्र मोदी का विरोध करता है तो पाकिस्तान चला जाए. राजनीति में इस तरह के बयानों का अपना महत्व है. इससे विरोधियों पर हमला भी कर दिया गया. उसे खबरों में भी जगह मिल गयी और उस नेता की एक अळग छवि भी लोगों के दिमाग में बनने लगती है.
सुशील मोदी और गिरिराज में रही है ठसक
जदयू में जिस वक्त जीतन राम मांझी औरनीतीशके बीच तनातनी थी गिरिराज ने कहा, क्योंकि नीतीश खुद सत्ता के इच्छुक हैं और इसके बिना लंबे समय तक नहीं रह सकते, इसलिए वह मांझी को अपदस्थ करने के लिए नाटक कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश ने राज्य का नेतृत्व करने के लिए ‘महादलित’ को लाने का नाटक कर मांझी को खुद बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था. गिरिराज बिहार में सुशील मोदी के नेतृत्व से भी खुश नहीं नजर आते. समय- समय पर सुशील मोदी पर निशाना साधते बयान हमेशा से मीडिया में छाए रहे हैं. सुशील मोदी के संसदीय जीवन के 25 साल पूरे होने पर पटना स्थित रविन्द्र भवन में सुशील मोदी का अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया. इस समारोह में भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने शिरकत की.
जाहिर है ये उनके राजनीतिक कद को और आगे बढ़ाने में काफी मददगार साबित हुआ. गिरिराज सिंह भूमिहार बहुल बेगूसराय जो कि उनका गृह जिला भी है वहां से लड़ना चाहते थे. उनकी दूसरी प्राथमिकता मुंगेर की सीट थी लेकिन सुशील मोदी ने मुंगेर की सीट सहयोगी पार्टी एलजेपी के खाते में डलवा दी और बेगूसराय से भोला सिंह को टिकट दिलवा दिया. नवादा सीट से गिरिराज को टिकट दिलवा दिया जहां से उन्हें लड़ने की इच्छा बिल्कुल नहीं थी.गिरिराज को संदेह था कि उनके विरोधी उन्हें रणनीति के तहत हराने की कोशिश कर रहे हैं. इन सब के बावजूद गिरिराज को मोदी लहर का साथ मिला और नवादा सीट से उन्हें जीत हासिल हुई.
क्या इस तरह के बयानों का मिलता है फायदा
गिरिराज सिंह राज्य में तीन बार मंत्री के पद पर रह चुके हैं. यह पहली बार है जब उन्हें केंद्र में आने का मौका मिला है. लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर भी उन्होंने भारी हंगामा किया था. गिरिराज बेगूसराय से टिकट चाहते थे लेकिन उन्हें नवादा से चुनाव लड़ने का मौका मिला. गिरिराज ने अपने लिए उसी वक्त सुर्खीयों में जगह बना ली थी. इसके बाद उन्होंने एक चुनावी रैली में मोदी का समर्थन ना करने वालों को पाकिस्तान जाने की हिदायत दे दी. इस बयान से भारी हंगामा हुआ. इन सारे विवादों के बीच गिरिराज अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाने में सफल रहे और उन्हें केंद्र में अहम जिम्मेदारी मिल गयी. जो लोग गिरिराज के मंत्री पद पर सवाल खड़े करते रहे हैं उनके लिए यह जानकारी काफी है कि उन्हें मोदी से नजदीकी होने का फायदा मिला है. गिरिराज फिछले चार सालों से मोदी फैन्स क्लब चला रहे है. जिस वक्त आडवाणी के नाम पर जबरदस्त लॉबिंग होती थी गिरिराज नरेंद्र मोदी के पक्ष में खड़े रहते थे और खुलकर उनका समर्थन करते थे.

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