बेंगलुरु : भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सरकार के साथ मजबूती से खड़े होते हुए भाजपा ने शनिवार को निर्णय लिया कि वह विपक्ष के ‘दुष्प्रचार अभियान’ के खिलाफ जनता के बीच जाकर जवाबी हमला बोलेगी. पार्टी की दो दिनों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास के उस मॉडल पर जोर दिया जिस पर उनकी सरकार रोजगार के अवसर पैदा करने के साथ गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के जरिये आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है.
दो दिनों की चर्चा के दौरान पार्टी ने संकल्प लिया कि वह सरकार के साथ पूरी तरह खड़ी है व उसके हर फैसले का समर्थन करती है. बैठक में एक राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर मोदी सरकार के 10 महीनों के शासन और उसके कदमों की सराहना की गयी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आंतरिक निर्णय की प्रक्रिया कुछ ऐसी होती है जिस बारे में हम मीडिया के साथ उसकी चर्चा नहीं का सकते. आरटीआइ और पारदर्शिता के विश्व में हम इसे मीडिया के साथ साझा नहीं कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का विवरण देते हुए कहा कि उनका पूरा जोर विकास के उस मॉडल को लेकर था जिसको लेकर सरकार आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है. सरकार चाहती है कि अर्थव्यवस्था की प्रगति होनी चाहिए और समृद्ध अर्थव्यवस्था की पहुंच गरीब तक होनी चाहिए. यह नौकरियों, रोजगार के नये अवसर और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के जरिये होगा. सरकार अतिरिक्त संसाधन मुहैया करायेगी.
बैठक में भूमि विधेयक परचर्चा का बड़ा हिस्सा इस बात को लेकर था कि इस विधेयक से ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण, खासकर सड़कें, सिंचाई, विद्युतीकरण, गरीबों के मकान, कमजोर तबकों व ग्रामीण भारत को मदद मिलेगी. ग्रामीण इलाकों में औद्योगिकी कोरिडोर और औद्योगीकरण से सभी लोगों, विशेषकर भूमिहीनों व दलितों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी.
यूपीए सरकार के 2013 के भूमि अधिग्रहण विधेयक को ‘किसान विरोधी’ करार देते हुए संशोधनों को अनिवार्य बताया गया. प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान बताया कि वह कैसे गरीबों की मदद की दिशा में सरकार को ले जाने का प्रयास कर रहे हैं. ‘स्वच्छ भारत’ एवं गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवा जैसी योजनाओं का हवाला दिया.