नयी दिल्ली: नालंदा विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय संगठन के रुप में पहचान दिलाने की खातिर महत्चपूर्ण आधार प्रदान करने के उद्देश्य से आज एक संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया.
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने नालंदा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2013 सदन में पेश किया. इस विधेयक में विश्वविद्यालय के लिए मौजूदा शासन संरचना को बेहतर बनाने और परियोजना में तेजी लाने में सहायता प्रदाने के लिए मूल कानून के कुछ उपबंधों में संशोधन किया गया है. विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की शासन संरचना को बेहतर बनाने और संबंधित परियोजना में तेजी लाने के लिए मूल कानून के कुछ उपबंधों में संशोधन जरुरी हो गया है. इसमें कहा गया है कि एक उपबंध जरुरी हो गया है ताकि भारत सरकार न केवल विश्वविद्यालय के पूंजीगत व्यय को बल्कि अन्य व्यय को पूरा करने के लिए समर्थ हो सके.
विधेयक में एक ओर विश्वविद्यालय के संचालन बोर्ड में प्रख्यात लोगों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है वहीं विश्वविद्यालय के दो फैकल्टी को भी इस बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान. विधेयक में डीन और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों की नियुक्ति का भी प्रस्ताव किया गया है. उल्लेखनीय है कि बौद्धिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय कानून 2010 बनाया गया था. यह कानून 25 नवंबर 2010 में लागू हुआ. भारत के राष्ट्रपति विश्वविद्यालय के विजिटर हैं वहीं प्रो. अमर्त्य सेन कुलाधिपति और संचालन बोर्ड के अध्यक्ष हैं. विश्वविद्यालय की स्थापना बिहार राज्य में की जानी है और इसके भवनों का निर्माण कार्य चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में शुरु होने की संभावना है. विश्वविद्यालय ने नई दिल्ली स्थित अपने कार्यालय से काम शुरु कर दिया है. विश्वविद्यालय के सभी सात अध्ययन केंद्रों में शैक्षणिक कार्य 2017.18 से शुरु होने की संभावना है.