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आर्थिक कठिनाइयों से निराश होने की जरुरत नहीं: प्रणब

देहरादून: अर्थव्यवस्था में नरमी के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारत की दीर्घावधि की संभावनाएं ‘उज्जवल’ हैं, और देश वर्तमान कठिनाइयों से सफलतापूर्वक पार पा लेगा. यहां पेट्रोलियम एवं उर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (यूपीईएस) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हां, कुछ उलझनें और अड़चनें हैं, लेकिन मुझे भरोसा […]

देहरादून: अर्थव्यवस्था में नरमी के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारत की दीर्घावधि की संभावनाएं ‘उज्जवल’ हैं, और देश वर्तमान कठिनाइयों से सफलतापूर्वक पार पा लेगा. यहां पेट्रोलियम एवं उर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (यूपीईएस) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हां, कुछ उलझनें और अड़चनें हैं, लेकिन मुझे भरोसा है कि हम इससे पार पा लेंगे. दीर्घावधि में वृद्धि की हमारी संभावनाएं काफी उज्जवल हैं.’’

मुखर्जी ने कहा कि वह देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति से निराश नहीं हैं.उन्होंने कहा कि कई प्रकार की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय समस्याओं तथा यूरो क्षेत्र के संकट के बावजूद हाल के दौर में भारत ने औसतन 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की थी. गौरतलब है कि 2012-13 में देश की आर्थिक वृद्धि दर घटकर एक दशक के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गई है. एक साल पहले यह 6.2 प्रतिशत थी. चालू वित्त वर्ष के लिए भी संभावनाएं अच्छी नहीं दिख रही हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है. देश का चालू खाते का घाटा भी 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद के रिकार्ड 4.8 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया. पिछले सप्ताह कारोबार के दौरान रपया गिरकर अपने सर्वकालिक निचले स्तर 65.56 प्रति डालर तक चल गाया था.

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